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मणिकरण से व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए कसोल पानी पहुंचाने की योजना का विरोध

शिमला : Himachal Pradesh के कुल्लू जिले में हिंदुओं और सिखों के तीर्थ स्थल मणिकरण से पानी को कसोल में स्थानांतरित कर गर्म पानी के स्नान की सुविधा स्थापित करने के प्रस्ताव पर स्थानीय लोगों में असहमति पैदा हो गई है और अब कसोल में गर्म पानी का चश्मा खोदकर इसका विकल्प ढूंढ लिया गया.

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शिमला : Himachal Pradesh के कुल्लू जिले में हिंदुओं और सिखों के तीर्थ स्थल मणिकरण से पानी को कसोल में स्थानांतरित कर गर्म पानी के स्नान की सुविधा स्थापित करने के प्रस्ताव पर स्थानीय लोगों में असहमति पैदा हो गई है और अब कसोल में गर्म पानी का चश्मा खोदकर इसका विकल्प ढूंढ लिया गया है। विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एसएडीए) की हाल में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि कसोल में स्नान के लिए गर्म पानी की सुविधा के साथ एक नया नेचर पार्क बनाया जाएगा, जिसके लिए मणिकरण से पाइप के जरिए पानी लाया जाएगा।

कसोल के बीच की दूरी करीब पांच किलोमीटर

स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर मणिकरण के पवित्र जल का इस्तेमाल पर्यटन स्थल कसोल में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया गया तो वे आंदोलन शुरू कर देंगे। मणिकरण और कसोल के बीच की दूरी करीब पांच किलोमीटर है। प्रस्ताव का विरोध करते हुए स्थानीय लोगों ने इस संबंध में कुल्लू के उपायुक्त तोरुल एस रवीश को एक याचिका भी सौंपी। इसकी पुष्टि करते हुए उपायुक्त ने कहा कि प्रस्ताव प्रारंभिक चरण में है और अभी यह तय नहीं हुआ है कि पानी को किस स्थान से लाया जाएगा।

कुछ लोग क्षेत्र के विकास के खिलाफ हैं

स्थानीय लोगों और भाजपा नेताओं ने कहा कि स्थानीय देवता भी मणिकरण से कसोल में पानी ले जाने की अनुमति नहीं देंगे और कहा कि यदि गर्म पानी का स्नानगृह बनाना है तो मणिकरण में बनाया जाना चाहिए। भाजपा नेताओं ने पहले कहा था कि मणिकरण के पवित्र जल का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। स्थानीय कांग्रेस विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने बृहस्पतिवार को कहा कि मणिकरण में फैले पानी के उपयोग का प्रस्ताव था लेकिन अब हमने कसोल में ही गर्म पानी के चश्में खोदने का विकल्प खोज लिया है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पवित्र जल का उपयोग पर्यटकों के लिए कुंड और शौचालय जैसे व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए न किया जाए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग क्षेत्र के विकास के खिलाफ हैं और विकास कार्यों का विरोध करते हैं।

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