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पासपोर्ट को नागरिकता का एकमात्र सबूत नहीं माना जा सकता: सत्र न्यायालय

मुंबई: महाराष्ट्र की एक सत्र अदालत के अनुसार पासपोर्ट को नागरिकता का एकमात्र प्रमाण नहीं माना जा सकता है और इसी तरह के कई दस्तावेजों में से आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज यह दर्शाते हैं कि धारक एक भारतीय नागरिक है, जब तक कि सक्षम अधिकारियों द्वारा इन्हें फर्जी नहीं ठहराया जाता है।.

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मुंबई: महाराष्ट्र की एक सत्र अदालत के अनुसार पासपोर्ट को नागरिकता का एकमात्र प्रमाण नहीं माना जा सकता है और इसी तरह के कई दस्तावेजों में से आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेज यह दर्शाते हैं कि धारक एक भारतीय नागरिक है, जब तक कि सक्षम अधिकारियों द्वारा इन्हें फर्जी नहीं ठहराया जाता है।

अदालत ने कहा, पासपोर्ट को नागरिकता का एकमात्र प्रमाण नहीं माना जा सकता है। कई भारतीय नागरिकों के पास पासपोर्ट नहीं है, लेकिन यह उन्हें विदेशी नहीं बनाता है। इसलिए, जब तक कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक, बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र, आयकर रिटर्न, एलआईसी पॉलिसी, राशन कार्ड, गृह कर रसीद, घरेलू गैस रसीद, उद्यम पंजीकरण प्रमाण पत्र, दुकान और स्थापना प्रमाण पत्र, ग्राम पंचायत प्रमाण पत्र और आवेदक की बिक्री विलेख प्रतिलिपि जैसे दस्तावेजों को जब तक सक्षम अधिकारियों द्वारा फर्जी नहीं माना जाता है, तब तक उन्हें मान्य ‘फेस वेल्यू’समझा जाना चाहिए।

पड़ोसी शहर ठाणो की सत्र अदालत ने रविवार को उपलब्ध कराए गए अपने आदेश में कहा, च्च्ऐसे दस्तावेज़ प्रथम दृष्टया संकेत देते हैं कि आवेदक एक भारतीय नागरिक है।’’ यह टिप्पणी ठाणो सत्र न्यायालय द्वारा की गई। जिसकी अध्यक्षता न्यायाधीश ए.एस. भागवत ने की। साथ ही मीरा रोड स्थित एक व्यक्ति पंकज दास को जमानत दे दी, जिसे स्थानीय पुलिस ने इस आरोप में गिरफ्तार किया था कि वह एक बंगलादेशी निवासी है जो कानूनी दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश कर गय और यहां रह रहा था।

अदालत ने अभियोजन पक्ष के मामले को खारिज कर दिया और आरोपी को केवल इसलिए गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को फटकार लगाई क्योंकि उसके पास भारतीय पासपोर्ट नहीं था। जमानत देते समय अदालत ने कहा कि सभी भारतीयों के पास पासपोर्ट नहीं है और पासपोर्ट न होने से कोई व्यक्ति देश का अवैध निवासी नहीं बन जाता।

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