नई दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री Nitin Gadkari ने बृहस्पतिवार को देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और इनमें होने वाली जनहानि के लिए सिविल इंजीनियरों और सलाहकारों द्वारा तैयार की गई दोषपूर्ण विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और दोषपूर्ण सड़क डिजायन को जिम्मेदार ठहराया। ग्लोबल रोड इन्फ्राटेक समिट एंड एक्सपो (जीआरआईएस) को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि सड़क सुरक्षा उपायों में तत्काल सुधार की जरूरत है।
गडकरी ने कहा, देश में अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं लोगों की छोटी-छोटी गलतियों, दोषपूर्ण डीपीआर के कारण होती हैं और इसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता। मंत्री ने सड़क निर्माण उद्योग से नई प्रौद्योगिकियों और टिकाऊ पुनर्चक्रणीय निर्माण सामग्री को अपनाकर सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए रणनीति विकसित करने का भी आह्वान किया।
1,80,000 लोगों की जान गई
केंद्रीय मंत्री ने कहा, भारत में सड़क पर निर्देश-पट्टिका और चिह्न् प्रणाली जैसी छोटी-छोटी चीजें भी बहुत खराब हैं। हमें स्पेन, ऑस्ट्रिया और स्विटजरलैंड जैसे देशों से सीखने की जरूरत है। गडकरी ने कहा कि भारत में सबसे खराब गुणवत्ता वाली डीपीआर बनाई जाती है। उन्होंने खराब योजना और डिजायन के कारण सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर इंजीनियरों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि के लिए मूल रूप से इंजीनियर ही जिम्मेदार हैं। इसलिए, मुख्य समस्या सड़क इंजीनियरिंग और दोषपूर्ण योजना और दोषपूर्ण डीपीआर है।
गडकरी ने कहा कि भारत में 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में 1,80,000 लोगों की जान गई। उनके अनुसार, सड़क सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सरकार का लक्ष्य 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी लाना है। इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय सड़क महासंघ (आईआरएफ) के मानद अध्यक्ष के के कपिला ने कहा कि सड़क डिजायन, निर्माण और प्रबंधन के हर पहलू में सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह शिखर सम्मेलन एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ना चाहता है, जहां सड़क दुर्घटनाएं दुर्लभ हो जाएं, तथा अंतत? शून्य मृत्यु दर का लक्ष्य रखा जाए।