इंटरनेशनल डेस्क: हर साल मार्च के पहले हफ्ते में चीन की दो सबसे अहम पार्लियामेंट्री मीटिंग्स— NPC (नेशनल पीपुल्स कांग्रेस) और CPPCC (चाइनीज़ पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस)— देश की राजधानी बीजिंग में होती हैं। इन्हें ‘Two Sessions’ या ‘दो सत्र’ कहा जाता है। इस दौरान, चीनी प्रधानमंत्री एक सरकारी रिपोर्ट पेश करते हैं, जो सिर्फ बीते साल का लेखा-जोखा नहीं होती, बल्कि आने वाले साल की आर्थिक, सामाजिक और नीतिगत प्राथमिकताओं को भी तय करती है।
इस बैठक में देश भर से एनपीसी के प्रतिनिधि और राजनीतिक सलाहकार जुटते हैं, सरकार की रिपोर्ट्स पर चर्चा करते हैं और बड़े मुद्दों जैसे इकॉनमी, समाज और कानून पर राय रखते हैं। यहीं पर नई नीतियां बनाई जाती हैं और कानूनों में बदलाव के अहम फैसले लिए जाते हैं।
चीन के लिए क्यों अहम है ‘दो सत्र’?
चाइना मीडिया ग्रुप के CGTN Hindi ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) की प्रोफेसर और ‘नेशन-स्टेट डायलॉग’ की फाउंडर डॉ. गीता कोछड़ से इस विषय पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि चीन की अर्थव्यवस्था को समझने के लिए ‘दो सत्र’ बेहद अहम है। इस बार चीनी प्रधानमंत्री ली छ्यांग ने अपने भाषण में कई बड़ी बातें रखीं, खासकर यह कि चीन को अमेरिका के साथ व्यापारिक टकराव जैसी बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद, चीन ने 2025 के लिए 5% GDP ग्रोथ का लक्ष्य रखा है, जो चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन उम्मीद भी जगाता है।
इस साल चीन 1.3 खरब युआन के अल्ट्रा-लॉन्ग स्पेशल ट्रेजरी बॉन्ड्स जारी करने जा रहा है, जो पिछले साल की तुलना में 300 अरब युआन ज्यादा हैं। साथ ही, टेलीकॉम, हेल्थकेयर और एजुकेशन सेक्टर में सुधार जारी रहेगा और औद्योगिक सप्लाई चेन में विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ाने की भी योजना बनाई जा रही है।
प्राइवेट सेक्टर और हाई-टेक इंडस्ट्री पर फोकस
प्रो. कोछड़ के मुताबिक, पहले यह माना जा रहा था कि चीन की सरकार प्राइवेट सेक्टर को ज्यादा बढ़ावा नहीं देगी, लेकिन इस बार इसमें भी बड़े फैसले लिए गए हैं। सरकार एकीकृत बाजार तैयार करने की योजना बना रही है, जिससे प्राइवेट बिजनेस को मजबूती मिलेगी। इसके अलावा, चीन बायो-मैटेरियल, क्वांटम टेक्नोलॉजी, AI और 6G जैसे क्षेत्रों में भी बड़े निवेश की योजना बना रहा है। इस सरकारी रिपोर्ट में न सिर्फ वर्तमान चुनौतियों को ध्यान में रखा गया है, बल्कि भविष्य की संभावनाओं का भी पूरा खाका खींचा गया है।
14वीं पंचवर्षीय योजना की उपलब्धियां और आगे की राह
साल 2025, चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना का आखिरी साल है और 15वीं पंचवर्षीय योजना की तैयारी का भी समय है। बीते पांच सालों में चीन की अर्थव्यवस्था स्थिर रूप से बढ़ी है और ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ में उसका योगदान लगभग 30% रहा है। इससे वैश्विक आर्थिक सुधार को भी मजबूती मिली है।
हालांकि, यह सफर आसान नहीं था। कोविड-19 महामारी के कारण चीन की अर्थव्यवस्था को झटके लगे, लेकिन फिर भी विकास दर 6% के औसत पर बनी रही। हालांकि, शहरी बेरोजगारी अब भी एक चुनौती बनी हुई है।
डिजिटल अर्थव्यवस्था चीन के विकास का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। 2023 में यह औद्योगिक ग्रोथ का बड़ा ड्राइवर रही, जिसका योगदान 9.9% तक पहुंच गया। साथ ही, अनुसंधान एवं विकास (R&D) में भी साल-दर-साल 1% की बढ़ोतरी देखी गई, जो इनोवेशन और क्रिएटिविटी के लिहाज से अहम है।
हरित विकास और नई उत्पादक शक्तियां
चीन ने पर्यावरण सुधारों पर भी जोर दिया है। 2025 तक प्रति यूनिट GDP में ऊर्जा खपत को 13.5% और कार्बन उत्सर्जन को 18% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रो. कोछड़ के मुताबिक, यह जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके अलावा, चीन अब नई गुणवत्ता वाली उत्पादक शक्तियों को बढ़ावा देने की रणनीति बना रहा है, जिससे आधुनिकीकरण की गति तेज होगी।
इस साल के ‘दो सत्र’ ने चीन की अर्थव्यवस्था, टेक्नोलॉजी, प्राइवेट सेक्टर और पर्यावरण सुधारों के लिए एक अहम ब्लूप्रिंट पेश किया है। सरकार की प्राथमिकताएं साफ हैं—आर्थिक स्थिरता बनाए रखना, विदेशी निवेश आकर्षित करना, टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ना और ग्रीन डेवलपमेंट को मजबूत करना। यह सरकारी रिपोर्ट न केवल चीन के लिए, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी अहम साबित हो सकती है।
(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)