कुरुक्षेत्र में एक अनोखा शिव मंदिर, बिना नंदी के विराजमान हैं महादेव, जाने रामायण काल से पहले का इसका इतिहास

कुरुक्षेत्र: सावन का महीना शुरू होने जा रहा है यह महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है इन दिनों भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है, अगर शिव मंदिर की बात करे तो आमतौर पर यह देखा जाता है कि भगवान शिव के साथ नंदी विराजमान रहते है। लेकिन.

कुरुक्षेत्र: सावन का महीना शुरू होने जा रहा है यह महीना भगवान शिव को समर्पित माना जाता है इन दिनों भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है, अगर शिव मंदिर की बात करे तो आमतौर पर यह देखा जाता है कि भगवान शिव के साथ नंदी विराजमान रहते है। लेकिन हरियाणा के कुरुक्षेत्र में कालेश्‍वर महादेव मंदिर एक ऐसा शिवमंदिर है जहां महादेव बिना नंदी के विराजमान हैं, वहीं यह भी कहा जाता है कि ये दुनिया का एकमात्र ऐसा शिवमंदिर है जहां नहीं नंदी है, यह एक स्वयंभू शिवलिंग है।

मान्‍यता है कि यहां पर लंकापति रावण ने तपस्‍या की थी, किदवंत कथाओं के मुताबिक आकाश मार्ग से गुजर रहे लंकापति रावण का उड़नखटोला कालेश्वर महादेव मंदिर के ऊपर आते ही डगमगा गया था। इसके बाद उन्होंने यहीं बैठकर पूजा शुरू कर दी,मान्‍यता है कि रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव अवतरित हुए और उन्होंने रावण से इच्छा पूछी की। रावण ने भगवान शिव से काल पर विजय का वरदान मांगा, लेकिन इससे पहले रावण ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि इस मनोकामना का साक्षी कोई तीसरा नहीं हो।

बताया जाता है कि भगवान शिव ने इस दौरान नंदी महाराज को अपने से दूर किया था। इसके बाद से यहां शिवलिंग बिना नंदी महाराज के स्थापित हैं। यहां पर श्रद्धालु जो भी मन्नत लेकर आते है वह पूरी हो जाती है,सावन माह में यहां पूजा का विशेष महत्व है और इसीलिए सावन में महीने में भक्तों की भरी भीड़ यह देखने को मिलती है। इस मंदिर में पूजा करने से अकाल मृत्यु दोष होता है।

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