नई दिल्ली: प्यार हर व्यक्ति के जीवन का एक अभिन्न अंग है। फिर चाहे वे कैदी हों या आजाद जिंदगी व्यतीत कर रहे लोग। जब आप अपने पार्टनर को लंबे समय के बाद मिलते है तो संबंध बनना स्वाभाविक है। इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए दुनिया के कई विकसित देशों की जेलों में बंदियों को विशेष सुविधाएं दी जाती हैं। वेबसाइट वाइस.कॉम पर एक लेख में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई है।
कैदियों की जिंदगी पर किए गए शोधों से पता चलता है कि जीवनसाथी के साथ कुछ निजी पल बिताने से एक कैदी के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आता है। अपने परिवार के साथ उसका बंधन बेहतर होता है। वहीं इससे यह भी पता चला है कि कैदियों को अपने जीवनसाथी के साथ निजी पल बिताने का अवसर दिए जाने के बाद अमेरिकी राज्यों में जेल हिंसा की घटनाओं में कमी आई है। 2012 के एक अध्ययन के अनुसार, ‘अपने पति या पत्नी को अकेले देखने का अवसर’ कैदियों के लिए एक महान प्रेरक है।
बेल्जियम, यूरोप में अगर कोई कैदी किसी से अकेले मिलना चाहता है, तो उसके पास एक कानूनी साथी होना जरूरी है। जिससे कैदी को एक निजी स्थान उपलब्ध कराया जाता है। कानून के मुताबिक कैदी महीने में एक बार अपने साथी से दो घंटे के लिए निजी स्थान पर जा कर मिल सकता है। वेबसाइट वाइस डॉट कॉम पर एक लेख में एक महिला कैदी का उल्लेख किया गया है। जिसे जेल में हर महीने 4 घंटे के लिए अपने बॉयफ्रेंड से एकांत में मिलने की इजाजत थी।
वहीं ब्रिटेन की जेलों में कुछ अलग ही नियम है। यहां पर जेलों में बंद कैदियों को अपने पार्टनर से मिलने की इजाजत नहीं दी जाती बल्कि हर 14 दिनों में एक दिन परिवार से मिलने की अनुमति दी जाती है। है;हालांकि यह सुविधा सभी कैदियों को नहीं दी जाती। घर जाने की अनुमति सिर्फ कम जोखिम वाले कैदियों को दी जाती है।
तकनीकी भाषा में इसे वैवाहिक अधिकार कहते हैं। अपने जीवनसाथी के साथ रहना हर पति या पत्नी का अधिकार है। इसी कॉन्सेप्ट पर जेल के कैदियों को अपनी पत्नी के साथ कुछ वक्त अकेले बिताने का मौका दिया जाता है। इसके पक्ष में अक्सर कई तर्क दिए जाते हैं। सभी शोधों का दावा है कि इसका कैदी के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।