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भारत ने 559 वैश्विक कलाइमेट क्लॉक को एक साथ जोड़ने का बनाया विश्व रिकॉर्ड

नयी दिल्ली: एनर्जी स्वराज फाउंडेशन (ईएसएफ) ने शनिवार को विश्व की सबसे बड़ी ग्लोबल क्लाइमेट क्लॉक असेंबली और डिस्प्ले इवेंट का आयोजन किया, जिसमें पूरे भारत में 559 क्लाइमेट क्लॉक जोड़ा गया। इस आयोजन से पूरे देश से 7000 लोग और 3000 संगठन संबंद्ध रहे। सभी लाेग 559 क्लॉक को एक साथ जोड़ने का विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए एकजुट हुए। ग्लोबल क्लाइमेट क्लॉक असेंबली और डिस्प्ले इवेंट एक बड़ी सफलता थी और आम लोगों के बीच जलवायु परिवर्तन को कम करने का समर्थन करने के लिए खुद को बदलने की नींव रखी गयी।

क्लाइमेट क्लॉक के सह-संस्थापक जियान गोलन की ओर से ईएसएफ को एक विशेष संदेश प्राप्त हुआ। गोलन आम लोगों के लिए जलवायु घड़ी लाने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति थे। ब्राजील से राउल डी लीमा और ओकीमे क्वामे एक आर्टिस्ट (एक्टिविस्ट आर्टिस्ट) के रूप में जुड़े। क्लॉक की असेंबली पूर्वाह्न 10.30 बजे से शुरू हुई। इस कार्यक्रम में प्रो टी जी सीताराम ने स्वराज फाउंडेशन के संस्थापक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे के प्रोफेसर चेतन एस. सोलंकी को उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उन्हें सम्मान देने का लोगों से आग्रह किया।

प्रो सोलंकी ने बदलती जलवायु और इसके कारणों पांच पॉइंट ‘अंडरस्टैंडिंग क्लाइमेट चेंज एंड आई’ पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा का उपयोग करने वाला प्रत्येक व्यक्ति जलवायु परिवर्तन में योगदान दे रहा है। उन्होंने ऊर्जा के उपयोग को सीमित करने के लिए एएमजी अवॉइड-न्यूनतम-जेनरेट सिद्धांत पर बल दिया। एक्सिस बैंक के सस्टेनेबिलिटी एंड सीएसआर प्रमुख अभिजीत अग्रवाल ने कहा कि हमने आज वास्तव में कुछ विशेष हासिल किया है, कुछ ऐसा जो हमने पहले कभी नहीं किया।

सीएसआर के विग्नेश्वरन रामलिंगम ने कहा कि कलाइमेट चेंज के लिए लोगों में जागरुकता लाने का अधिक प्रयास किये जाने की जरूरत है। उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण और कार्बन फुट प्रिंट को कम करने का भी संकल्प लिया। इस मौके पर नीति आयोग से डॉ. चिंतन वैष्णव औऱ सी. एस. आई. आर. के मुख्य वैज्ञानिक डॉ जी महेश भी मौजूद थे। दिल्ली स्थित स्कूल की एक 14 वर्षीय छात्रा सिमरन ने इस मौके पर कहा कि क्लाइमेट क्लॉक को जोड़ना और इसके परिवर्तनों के बारे में जागरुक करना अच्छा लगता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर गहरी चिंता दिखाते हुए कहा कि अब अक्षय संसाधनों की ओर रुख करने का समय आ गया है।

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