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झारखंड की ‘लेडी टार्जन’ चामी मुर्मू ने 3 दशक में लगाए 30 लाख पेड

जमशेदपुर: झारखंड के सरायकेलाखरसावां जिले के राजनगर नामक कस्बे में रहने वाली 51 वर्षीया चामी मुर्मू उन विशिष्ट हस्तियों में शामिल हैं जिन्हें भारत सरकार ने वन- पर्यावरण के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए इसी वर्ष पद्मश्री सम्मान के लिए चुना है। पेड़ लगाने और बचाने के व्यापक अभियान के चलते चामी मुर्मू.

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जमशेदपुर: झारखंड के सरायकेलाखरसावां जिले के राजनगर नामक कस्बे में रहने वाली 51 वर्षीया चामी मुर्मू उन विशिष्ट हस्तियों में शामिल हैं जिन्हें भारत सरकार ने वन- पर्यावरण के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए इसी वर्ष पद्मश्री सम्मान के लिए चुना है। पेड़ लगाने और बचाने के व्यापक अभियान के चलते चामी मुर्मू अपने इलाके में ‘लेडी टार्जन’ के नाम से मशहूर हैं। उनके इस अभियान से 30,000 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं। इस दौरान उन्होंने लकड़ी माफिया से संघर्ष किया। नक्सलियों की गतिविधियों और कई धमकियों के बाद भी उनका हौसला नहीं डगमगाया।

उन्होंने अभियान की शुरुआत 1988 में बगराईसाई गांव में 11 महिला सदस्यों के साथ मिलकर की थी। इलाके की बंजर जमीनों पर पेड़ लगाना शुरू किया। फिर राज्य सरकार की सामाजिक वानिकी योजना के तहत संस्था को मदद मिली और अंतत: एक नर्सरी की शुरुआत हुई। यह अभियान सरायकेला जिले के 500 गांवों तक फैल गया और 33-34 वर्षों में 720 हैक्टेयर जमीन पर 30 लाख पौधे लगा दिए गए। वह बताती हैं, ‘एक लाख से अधिक पौधे लगाने के बाद 1996 में हमें एक बड़ा झटका लगा। गांव के दबंगों ने मेरे पूरे एक लाख पौधे नष्ट कर दिए। हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और दोषियों को गिरμतार कर लिया गया। इस घटना के बाद भी हम विचलित नहीं हुए और हमने फिर से उसी जोश के साथ काम करना शुरू कर दिया।’

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