देखें कुदरत का अजब चमत्कार, इस जगह सूरज की रोशनी के साथ अपना रंग बदलते हैं पत्थर

ऐसे पत्थर जो घाटी के बाकी सभी जगहों से अलग ही देखने को मिलते है।

लाहौल घाटी पर्यटकों के बीच अपनी खूबसूरत मनमोहक जगहों के लेकर प्रसिद्ध है। वहीं, यह घाटी खुद में कई सारे रहस्यों को भी छिपाए हुए है। दारचा से करीब 3 किलोमीटर पहले यहां नदी किनारे एक बेहद ही रहस्यमई पत्थरों का ढेर देखने को मिलता है। ऐसे पत्थर जो घाटी के बाकी सभी जगहों से अलग ही देखने को मिलते है।

ये पत्थर सूरज की रोशनी के साथ रंग बदलते हुए नज़र आते है। अक्सर यहां देखा गया है की जहां ये पत्थर सुबह के समय कुछ लाल और ढलती धूप के समय कुछ नीले दिखने लगते है। इस स्थान को लेकर लाहौल घाटी में कई सारी किवदंतियां, लोक कथाएं जानी जाती हुआ।

प्रसिद्ध साहित्यकार डॉक्टर सूरत ठाकुर का कहना है की ये इलाका खुद में कई सारे रहस्यों को समेटे हुए है। उन्होंने बताया की ऐसा माना जाता है की इस इलाके में पहले एक पूरा गांव हुआ करता था। लेकिन कई साल पहले पूरा का पूरा गांव इन पत्थरों के नीच दब गया। गांव के पत्थरों के नीचे दबने के पीछे एक विशेष कहानी मानी जाती है।

ऐसा माना जाता है की लाहौल घाटी में ये परंपरा थी की किसी भी दावत में पहले सबसे बड़े व्यक्तियों को मान सम्मान दिया जाता है फिर छोटे बच्चे और बाकी सब लोगों को खाना परोसा जाता है। लेकिन लोक कथाओं के अनुसार कई साल पहले इस गांव में एक कार्यक्रम कर चल रहा था जहां खाना खाने के लिए लोग एक पंक्ति में बैठे। लेकिन इस दौरान गांव के एक बुजुर्ग व्यक्ति को सबसे पिछले बैठना पड़ा, जिस कारण वह नाराज होगें।

अपना अपमान देख कर उन्होंने कहा की इसका हिसाब कुदरत खुद लेगी और देखते ही देखते उस रात सारा पहाड़ नीचे आगया और सारा का सारा गांव और सभी लोग इसके नीचे समा गए। इस गांव की सिर्फ एक महिला जीवत रही जो उस दिन दूसरे गांव गई हुई थी। माना जाता है की इस इलाके में उसके बाद कभी फिर इंसानी बस्ती बस नहीं पाई। और अब नदी के दूसरे किनारे पर ये गांव बसा हुआ है। लेकिन ये पत्थरों का ढेर दूर से ही अलग दिखाई देता है। जो सूरज की रोशनी के साथ रंग बदलता हुआ नज़र आता है।

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