भगवान को लेकर इन बड़े वैज्ञानिकों की थी बेहद अजीब सोच, रिसर्च कर किये बड़े खुलासे

  साइंस हमें तर्क और वास्तविक आधार नए प्रयोगों की समझ देती है। विज्ञान ने गूढ़ रहस्यों को खोलते हुए हमारी जीवन को अपनी तमाम खोजों के जरिए आसान बनाया। हम अपने के रोजाना के जीवन में जो कुछ भी करते हैं, जिन चीजों का इस्तेमाल करते हैं, उसमें विज्ञान और उसके आविष्कारों की भूमिका.

 

साइंस हमें तर्क और वास्तविक आधार नए प्रयोगों की समझ देती है। विज्ञान ने गूढ़ रहस्यों को खोलते हुए हमारी जीवन को अपनी तमाम खोजों के जरिए आसान बनाया। हम अपने के रोजाना के जीवन में जो कुछ भी करते हैं, जिन चीजों का इस्तेमाल करते हैं, उसमें विज्ञान और उसके आविष्कारों की भूमिका 99 फीसदी होती है। जानते हैं कि सैकड़ों सालों से दुनिया को बदलने वाले वैज्ञानिक भगवान या उच्च शक्ति को लेकर क्या सोचते रहे हैं।

1. गैलीलियो गैलीली (1564 – 1642) – खगोलशास्त्री और वैज्ञानिक गैलीलियो गैलीली के इस सिद्धांत को रोमन कैथोलिक चर्च ने गलत बताया था कि पृथ्वी और दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। बल्कि उन्हें इस खोज के लिए विधर्मी ठहराया गया। गैलीलियो अपनी बात पर अड़े रहे कि उन्होंने जो खोज की, वो एकदम सही है। गैलीलियो ने ईश्वर के बारे में लिखा, “मैं यह विश्वास करने के लिए बाध्य नहीं हूं कि वही ईश्वर जिसने हमें इंद्रियां, तर्क और बुद्धि प्रदान की है, वो हमसे ये उम्मीद करता है कि हम उस बुद्धि का इस्तेमाल नहीं करें।

2. रोज़लिंड फ्रैंकलिन (1920 – 1958) – रोजालिंड फ्रैंकलिन ने एक्स-रे विवर्तन के उपयोग को आगे बढ़ाने में मदद की. उनका जन्म लंदन में एक यहूदी परिवार में हुआ। अपने पिता को लिखे पत्रों में उन्होंने जाहिर किया उन्हें ईश्वर की सत्ता और मृत्यु के बाद के जीवन के अस्तित्व पर गंभीरता से संदेह है। वह ईश्वर को नहीं मानती थीं।

3. वेंकटरमन रामकृष्णन (जन्म 1952) – नोबल पुरस्कार प्राप्त साइंटिस्ट वेंकटरमन रामकृष्णन का जन्म भारत के तमिलनाडु के ऐसे शहर में हुआ, जो शिव के प्रसिद्ध मंदिर के लिए जाना जाता है। वह भी धर्म, ज्योतिष जैसी बातों पर सवाल उठाते हैं। उनका मानना ​​है कि ज्योतिषशास्त्र मनुष्यों की “पैटर्न खोजने, सामान्यीकरण करने और विश्वास करने की इच्छा से विकसित हुआ। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि अंधविश्वास पर आधारित संस्कृति वैज्ञानिक ज्ञान और तर्कसंगत विचारों पर आधारित संस्कृति से बदतर प्रदर्शन करेगी। ”

4. मारिया मिशेल (1818 – 1889) –मारिया मिशेल अमेरिका की पहली महिला खगोलशास्त्री थीं. 20 की उम्र में उन्होंने अपने संप्रदाय की शिक्षाओं पर सवाल उठाना शुरू कर दिया. उन्होंने जीवनभर चर्च के सिद्धांतों को अधिक महत्व नहीं दिया. यद्यपि वह भगवान की सत्ता पर विश्वास करती थीं लेकिन उनका कहना था धर्म भगवान को जिस तरह से जाहिर करता है, वह सवाल खड़े करता है. उनका कहना था, “वैज्ञानिक जांच, लगातार आगे बढ़ने से, भगवान के काम करने के नए तरीकों का पता चलेगा, और हमें पूरी तरह से अज्ञात के गहरे रहस्योद्घाटन मिलेंगे।”

5. मैरी क्यूरी (1867 – 1934) – मैरी क्यूरी नोबल पुरस्कार पाने वाली वैज्ञानिक थीं. वह कैथोलिक धर्म में पली- बढ़ीं. लेकिन किशोरावस्था में वह अज्ञेयवादी बन गईं। मैरी और उनके पति पियरे क्यूरी दोनों ही किसी विशिष्ट धर्म का पालन नहीं करते थे। उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया, “जीवन में किसी भी चीज़ से डरना नहीं है, इसे केवल समझना है. अब और अधिक समझने का समय है, ताकि हम कम डर सकें। “

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