बच्ची का दिमाग खा गया ये खतरनाक जीव, तालाब या स्विमिंग पूल में नहाना पड़ सकता है भारी

एक छोटा सा जीव इंसान का दिमाग खा सकता है। आंखों से न दिखाई देने वाला दुनिया का यह छोटा जीव इतना खतरनाक है कि इससे मैडीकल जगत भी पार

नई दिल्ली: एक छोटा सा जीव इंसान का दिमाग खा सकता है। आंखों से न दिखाई देने वाला दुनिया का यह छोटा जीव इतना खतरनाक है कि इससे मैडीकल जगत भी पार नहीं पा सका है। इसे अमर माना जाता है, यानि यह मारने से भी नहीं मरता है। यह बेहद गर्म वातावरण में पानी में पनपता है। ऐसे में गर्मियों में गंदे तालाब या वाटर पार्क में नहाना किसी के लिए भारी पड़ सकता है। हाल ही में केरल में 5 साल की बच्ची की एक गंदे तालाब में नहाने के बाद मौत हो गई।

बताया जा रहा है कि लड़की को एक दुर्लभ इन्फेक्शन नेग्लेरिया फाउलरी हो गया था। यह संक्रमण ब्रेन ईटिंग अमीबा यानि दिमाग खाने वाले अमीबा से होता है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, वैसे-वैसे यह अमीबा खूब फलता-फूलता है। यह खतरनाक अमीबा झील, नदियों, तालाबों, स्विमिंग पूल, स्प्लैश पैड्स, सर्फ पार्क , वाटर पार्क जैसी गर्म ताजे पानी वाली जगहों पर ज्यादा तेजी से पनपता है। खासकर पानी वाली उन जगहों पर इसे अपना परिवार बढ़ाना ज्यादा पसंद है, जहां साफ-सफाई का ख्याल नहीं रखा जाता है और न ही क्लोरीन या ब्लीचिंग पाउडर से पानी का ट्रीटमैंट किया जाता है।

क्या है ब्रेन ईटिंग अमीबा
एक्सपर्ट्स के अनुसार नेग्लेरिया फाउलरी इन्फेक्शन को प्राइमरी अमीबिक मेनिनगोएन्सेफिलाइटिस कहा जाता है। यह संक्रमण नेग्लेरिया फाउलरी नाम के एक फ्री लिविंग अमीबा से होता है। अमीबा में एक ही कोशिका होती है। इसी वजह से यह अपना आकार बदलता रहता है और यह कभी मरता नहीं है। इसकी सबसे पहले खोज 1960 के दशक में ऑस्ट्रेलिया में हुई थी। मगर अमेरिका में इसका परिवार खूब फला-फूला।

खतरनाक अमीबा नाक के रास्ते शरीर में घुसता है
रांची में इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर रविकांत चतुवेर्दी के अनुसार, यह घातक अमीबा पूरी दुनिया में पाया जाता है। यह गर्म ताजे पानी में रहता है। तैरने या नहाने के दौरान यह अमीबा नाक के रास्ते शरीर में घुसता है। यह अमीबा ज्यादा तापमान यानी 46 डिग्री सेंटीग्रेड पर तेजी से पनपता है और अपना परिवार बढ़ाता है।

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