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आख़िर क्यों खास है ये पक्षी…जो हमारे इतिहास में राजाओं का इतना प्रिय था

 

नई दिल्ली: हमने कई प्रकार के पक्षियों के बारे में तो सुना ही होगा आज हम कुछ खास ही पक्षी के बारे में बात काटने जा रहे हैं। जो पुराने समय में हमारे हिंदू राजाओं को बहुत प्रिय थी। आपको बता दें कि, चकोर पक्षी के बारे में कवियों, शायरों और गीतकारों ने खूब लिखा है। जब भी किसी प्रेमी की अपनी प्रतिका के प्रति प्रेम की पराकाष्‍ठा, समर्पण और आत्‍म-त्‍याग को दर्शाना होता है तो कवियों ने चांद व चकोर को प्रतीक के तौर पर इस्‍तेमाल किया है।

इसमें चांद को प्रेमिका और चकोर को प्रेमी के तौर पर पेश किया जाता रहा है। खास बात तो यह है कि, चकोर सिर्फ कवियों की कल्‍पनाओं में ही शामिल नहीं रहा है, बल्कि ये पाकिस्‍तान का राष्‍ट्रीय पक्षी भी है। ये भारत और पाकिस्‍तान के पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला खूबसूरत पक्षी है। ये चट्टानी इलाके में आसानी से उड़ने में सक्षम होते हैं।

चकोर दिखने और स्‍वभाव में तीतर जैसा पक्षी है. ये 4,000 से 13,000 फीट की ऊंचाई वाले इलाकों में पाए जाते हैं। चकोर के पंखों पर काले और सफेद धारीदार निशान होते हैं। इसके चमकदार लाल चोंच और आंखों के चारों ओर लाल छल्ला होता है। एक काली पट्टी उनके चेहरे से लेकर छाती तक जाती है। चकोर उड़ सकते हैं, लेकिन आमतौर पर दौड़ते हैं और काफी फुर्तीले होते हैं।

पाकिस्तान का राष्ट्रीय पक्षी क्यों है चकोर?

दरअसल, ये नाम इन्‍हें बहुत तेज दौड़ने और मारने में मुश्किल होने के कारण दिया गया है. चांद पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रध्‍वज में है. वहीं, इस्‍लाम में चांद की खासी अहमियत है. लिहाजा, चकोर के चांद के प्रति प्रेम को देखते हुए इसे पाकिस्‍तान का राष्‍ट्रीय पक्षी मान लिया गया। हालांकि, इसे पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रध्‍वज या मुद्रा में कहीं स्‍थान नहीं दिया गया है।

हिंदू राजा खाना खाते समय क्‍यों रखते थे पास?

दरअसल, इस पक्षी का एक नाम विषदशर्नमृत्युक भी है. माना जाता है कि अगर खाने की किसी सामग्री में जहर मिला होता है तो उसे देखते ही चकोर पक्षी की आँखें लाल हो जाती हैं और वह मर जाता है। लिहाजा, खाने-पीने की सामग्री की परीक्षा के लिए हिंदू राजा चकोर को पालते थे और खासतौर पर खाना खाने के समय इसे अपने पास ही रखते थे।

 

 

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