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Mahakumbh 2025 : महाकुंभ में जापान से आकर गंगा में डुबकी लगाएंगे 150 शिष्य, 26 जनवरी को करेंगे योग साधना

नेशनल डेस्क : महाकुंभ 2025 में जापान से करीब 150 शिष्य 26 जनवरी को गंगा में स्नान करने के लिए पहुंचेंगे। ये सभी शिष्य योग माता कैलादेवी (पूर्व नाम कैको आइकावा) के शिष्य हैं। कैलादेवी का नाम जूना अखाड़ा द्वारा दिया गया था और वह ब्रह्मलीन पायलट बाबा की गुरु बहन हैं। आइए जानते हैं इस यात्रा और योग माता के बारे में विशेष जानकारी।

जापान से शिष्य महाकुंभ में आएंगे

आपको बता दें कि जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर शैलेशानंद गिरि महाराज के अनुसार, 150 जापानी शिष्य 26 जनवरी को महाकुंभ में शामिल होने के लिए पायलट बाबा शिविर में आएंगे। इस दौरान ये शिष्य गंगा में डुबकी लगाएंगे और योग माता के सानिध्य में योग साधना करेंगे।

शिविर में विशेष शाकाहारी भोजन

शैलेशानंद गिरि ने बताया कि जापानी शिष्यों के लिए शिविर में एक विशेष भोजनशाला तैयार की जा रही है, जिसमें पूर्ण शाकाहारी वैदिक भोजन तैयार किया जाएगा। इस भोजन को जापान से आए प्रतिनिधि और स्थानीय लोग मिलकर तैयार करेंगे।

योग माता का आगमन और दीक्षा

योग माता कैलादेवी 24 जनवरी को जापान से शिविर में पहुंचेंगी। वह शिविर में कितने लोगों को दीक्षा देंगी, इसका निर्णय वह खुद लेंगी। इस बार महाकुंभ में पायलट बाबा का सूक्ष्म रूप में उपस्थिति रहेगा, इसलिए शिविर में श्रद्धांजलि का माहौल रहेगा।

विश्व शांति के लिए यज्ञ

महाकुंभ के शिविर में शिवशक्ति यज्ञशाला का निर्माण किया जा रहा है, जहां 25 से 30 देशों के लोग विश्व शांति के लिए आहुति देंगे। खासतौर पर रूस और यूक्रेन के लोग इस यज्ञ में हिस्सा लेंगे। इसके साथ ही, जापान, कोरिया, इंडोनेशिया और बाली के लोग भी इस यज्ञ में आहुति देंगे। शैलेशानंद गिरि ने कहा, “युद्ध का माहौल बाह्य दुनिया में है, लेकिन यहां शिविर में लोग मैत्रीभाव के साथ आएंगे और बाबा जी के प्रेम, विश्वास और शांति के सिद्धांतों को अपनाएंगे।”

योग माता कैलादेवी का जीवन परिचय

दरअसल, योग माता कैलादेवी का असली नाम कैको आइकावा है। वह एक सफल महिला योगी रही हैं और जापान में उनके 50 से अधिक योग केंद्र चलते थे। सत्तर के दशक में उन्होंने भारत की कई यात्राएं कीं, जहां एक योगी को समाधि लेते हुए देख उन्होंने ध्यान और समाधि के गहरे रहस्यों को समझा। इसके बाद, वह पायलट बाबा से जुड़ीं और गुरु हरि बाबा से दीक्षा लेकर समाधि की साधना की। इस महाकुंभ में योग माता कैलादेवी और उनके शिष्यों के योगदान और भारत-जापान के इस अद्भुत संबंध को देखा जाएगा, जो शांति और योग के संदेश को फैलाने में मदद करेगा।

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