नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र सरकार ने 26/11 मुंबई हमले के वीर शहीद पुलिस अधिकारी तुकाराम ओंबले के सम्मान में एक स्मारक बनाने का फैसला किया है। यह स्मारक सतारा जिले के केदांबे गांव में बनाया जाएगा, जो तुकाराम ओंबले का पैतृक गांव है। सरकार ने इस स्मारक के निर्माण के लिए 13.46 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इस राशि की पहली किस्त के रूप में 2.70 करोड़ रुपये (जो कि 20% है) प्रशासन को उपलब्ध करा दी गई है।
कौन थे तुकाराम ओंबले?
तुकाराम ओंबले मुंबई पुलिस के बहादुर सब-इंस्पेक्टर थे, जिन्होंने 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के दौरान अपनी जान की परवाह किए बिना अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी इस वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
Maharashtra government has decided to build a memorial in honour of Ashok Chakra Awardee Tukaram Omble, a sub-inspector in Mumbai police who fell to the bullets during the 26/11 terror attack.
The memorial will be built in Tukaram Omble’s native village, Kedambe, in Satara… pic.twitter.com/0NvwpSufcp
— ANI (@ANI) March 29, 2025
26/11 की दुखद घटना
उस दिन मुंबई पर आतंकवादियों ने हमला किया, जिसमें 166 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए। इन आतंकियों में से सिर्फ अजमल कसाब ही जिंदा पकड़ा गया था, और यह सब तुकाराम ओंबले की वीरता के कारण संभव हुआ। कसाब को जिंदा पकड़ने के लिए तुकाराम ने सीने पर 26 खोलियां खाई थी।
कैसे हुई वीरता की कहानी?
जब आतंकवादी मुंबई में दहशत फैला रहे थे, तब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) पर अंधाधुंध गोलीबारी कर रहे थे अजमल कसाब और अबू इस्माइल। पुलिस ने आतंकियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया और गिरगांव चौपाटी पर बैरिकेड लगाए। जैसे ही आतंकियों की कार बैरिकेड के पास आई, पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें अबू इस्माइल मारा गया। अजमल कसाब ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी। इस दौरान तुकाराम ओंबले ने बिना डर के उसकी तरफ दौड़ लगाई और उसकी AK-47 रायफल को पकड़ लिया। कसाब ने लगातार गोलीबारी की, लेकिन ओंबले ने पूरी ताकत से उसका हथियार पकड़ रखा, जिससे अन्य पुलिसकर्मियों को उसे जिंदा पकड़ने का मौका मिला।
वीरता की अंतिम कीमत
गोली लगने के कारण तुकाराम ओंबले शहीद हो गए, लेकिन उनकी बहादुरी ने भारत को एकमात्र आतंकवादी को जिंदा पकड़ने का मौका दिया। इससे पूरी आतंकवादी साजिश का खुलासा हुआ और आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई संभव हो पाई। अब महाराष्ट्र सरकार उनके वीरता और बलिदान को कभी न भूलने के लिए उनके सम्मान में यह स्मारक बनाने जा रही है।