बिहार : महावीर मंदिर न्यास के सचिव और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक आचार्य किशोर कुणाल का रविवार सुबह हार्ट अटैक आया। जिसके बाद उन्हें महावीर वात्सल्य अस्पताल लाया गया, जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन से समाज के विभिन्न वर्गों में गहरा शोक व्याप्त है, खासकर दलितों और पिछड़ों के लिए काम करने वाले इस महान व्यक्तित्व की मौत ने लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया है।
समाज सेवा में योगदान
किशोर कुणाल जेडीयू नेता अशोक चौधरी के समधी थे और समस्तीपुर सांसद शांभवी चौधरी के ससुर थे। इसके साथ ही, वे अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक थे, जो धार्मिक कार्यों से जुड़े हुए थे। आईपीएस अधिकारी के पद से रिटायर होने के बाद किशोर कुणाल ने समाज सेवा की दिशा में कदम बढ़ाया। वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष भी थे। इसके अलावा, उन्होंने पटना में ज्ञान निकेतन स्कूल की स्थापना की थी, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान था।
किशोर कुणाल का जीवन परिचय
किशोर कुणाल को वीपी सिंह की सरकार के दौरान केंद्र सरकार ने विशेष अधिकारी के रूप में नियुक्त किया था। उनका कार्य विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद कमेटी के बीच मध्यस्थता करना था। किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा स्थानीय स्कूल से प्राप्त की थी। इसके बाद, पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में ग्रेजुएशन किया।
आईपीएस अधिकारी के रूप में करियर
किशोर कुणाल 1972 में गुजरात कैडर से आईपीएस अधिकारी बने। इसके बाद, उन्हें पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात किया गया। 1978 में उन्हें अहमदाबाद में पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया। 1983 में प्रमोशन मिलने पर उन्हें पटना में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) बनाया गया। 1990 से 1994 तक उन्होंने गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (OSD) के तौर पर भी काम किया।
धार्मिक कार्यों में सक्रियता
आईपीएस से रिटायर होने के बाद किशोर कुणाल का ध्यान धार्मिक कार्यों की ओर गया। 2000 में उन्हें केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय, दरंभगा का कुलपति नियुक्त किया गया, जहां वे 2004 तक कार्यरत रहे। इसके बाद, उन्हें बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड का प्रशासक बनाया गया।
किशोर कुणाल की विरासत
किशोर कुणाल का योगदान समाज, धर्म, शिक्षा और मध्यस्थता के क्षेत्र में हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने जीवनभर अपनी सेवा से समाज को जागरूक किया और देश के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। उनके निधन से एक महान व्यक्तित्व की कमी महसूस होगी, लेकिन उनके कार्यों और योगदान को आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी।