नई दिल्लीः भारत की जी20 की अध्यक्षता में अफ्रीकी संघ शनिवार को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के समूह का स्थायी सदस्य बन गया। जी20 की स्थापना 1999 में की गई थी और इसके बाद से इस गुट में यह पहला विस्तार है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए 55 देशों वाले अफ्रीकी संघ को नए सदस्य के तौर पर शामिल किए जाने का प्रस्ताव पेश किया जिसे सभी सदस्य देशों ने स्वीकार कर लिया। मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘अफ्रीकी संघ का जी20 कुटुम्ब में स्थायी सदस्य के तौर पर स्वागत करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इससे जी20 तथा ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री ने साथ ही इससे जुड़ा एक वीडियो भी साझा किया।
मोदी ने शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कोमोरोस संघ के राष्ट्रपति और अफ्रीकी संघ (एयू) के अध्यक्ष अजाली असौमानी से अन्य नेताओं के साथ मंच साझा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘सबका साथ की भावना को ध्यान में रखते हुए, भारत ने अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता प्रदान किए जाने का प्रस्ताव पेश किया। मेरा विश्वास है कि हम सब इस प्रस्ताव पर सहमत हैं..।’’ उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘‘कार्रवाई आगे बढ़ाने से पहले, मैं एयू के अध्यक्ष को स्थायी सदस्यता ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करता हूं।’’ इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर, असौमानी को जी20 मंच की मेज पर उनकी सीट तक ले गए। सीट पर बैठने से पहले असौमानी ने मोदी के साथ हाथ मिलाया और उनसे गले मिले। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में कहा, ‘‘ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को प्रर्दिशत करने वाले अधिक समावेशी जी20 को आगे बढ़ाते हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष तथा कोमोरोस संघ के राष्ट्रपति अजाली असौमानी का दिल से स्वागत करते हैं।’’ इसमें कहा गया, ‘‘अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य बनाए जाने से रोमांचित हूं।
जी20 कुटुम्ब के लिए नयी उपलब्धि।’’ इस माह की शुरुआत में ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में मोदी ने कहा था कि अफ्रीका भारत के लिए ‘‘शीर्ष प्राथमिकता’’ है और धरती के भविष्य की कोई भी योजना सभी आवाजों को शामिल किए बगैर या उनके उचित प्रतिनित्व के बिना सफल नहीं होगी। मोदी ने कहा था कि अफ्रीका भारत के लिए ‘‘शीर्ष प्राथमिकता’’ है और वह वैश्विक मुद्दों पर उन्हें शामिल करने के लिए काम करता है, जिन्हें लगता है कि उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही। भारत पिछले कुछ वर्षों से खुद को विकासशील देशों खासतौर पर अफ्रीकी महाद्वीप की समस्याओं, चुनौतियों तथा आकांक्षाओं को आवाज देने में प्रमुख देश रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जी20 में एयू की सदस्यता के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। जून में मोदी ने जी20 नेताओं को पत्र लिखकर नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान एयू को पूर्ण सदस्यता देने की वकालत की थी। जुलाई में कर्नाटक के हम्पी में हुई तीसरी जी20 शेरपा बैठक के दौरान इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से शिखर सम्मेलन के लिए मसौदा विज्ञप्ति में शामिल किया गया था। भारत ने जनवरी में विकासशील देशों के सामने आने वाली समस्याओं और चुनौतियों को उजागर करने के उद्देशय़ से ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ की मेजबानी की थी। जी20 की स्थापना 1999 में की गई थी जिसमें भारत, अज्रेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुíकये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। इन देशों के नेता शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक एवं चेयरमैन क्रिस्टालिना जॉर्जीवा और विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की महानिदेशक नगोजी ओकोंजो-इवीला इसमें शामिल हो रहे हैं। एयू के प्रवक्ता एब्बा कलोंडो ने कहा कि अफ्रीकी संघ सात वर्ष से पूर्ण सदस्यता की मांग कर रहा था।