नेशनल डेस्क : बेंगलुरु में आत्महत्या करने वाले AI इंजीनियर अतुल सुभाष की मां को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और कहा कि उनका 4 वर्षीय पोता अपनी मां, निकिता सिंघानिया के पास ही रहेगा। हालांकि, कोर्ट ने अंजू देवी को बच्चे की कस्टडी के लिए निचली अदालत जाने की अनुमति दी है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
अंजू देवी ने की थी पोते की कस्टडी की मांग
दरअसल, अंजू देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पोते की कस्टडी मांगी थी। उनका कहना था कि निकिता और उसके परिवार ने उनके बेटे अतुल को झूठे केस में फंसाकर मानसिक उत्पीड़न किया, जिससे वह आत्महत्या करने पर मजबूर हुआ। अंजू देवी का आरोप था कि अब निकिता का परिवार बच्चे को ढूंढने में रुकावट डाल रहा है और वह उसे सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अंजू देवी की कस्टडी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि बच्चा अपनी मां के पास ही रहेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि अंजू देवी कस्टडी चाहती हैं, तो उन्हें निचली अदालत में याचिका दायर करनी होगी। इससे पहले, कोर्ट ने निकिता को निर्देश दिया था कि वह अपने बेटे को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश करें। आपको बता दें कि यह दूसरी बार है जब कोर्ट ने अतुल के बच्चे को सामने लाने को कहा।
अतुल सुभाष की आत्महत्या और सुसाइड नोट
दरअसल, अतुल सुभाष, जिनकी उम्र 34 साल थी, का शव 9 दिसंबर 2024 को बेंगलुरु के मुन्नेकोलालु में उनके घर में फांसी से लटका हुआ पाया गया था। अतुल ने आत्महत्या से पहले 90 मिनट का वीडियो और 40 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा था। इस नोट में उन्होंने अपनी पत्नी निकिता और ससुराल वालों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था और बताया था कि इस उत्पीड़न के कारण वह आत्महत्या करने को मजबूर हो गए।
अतुल और निकिता की शादी
अतुल सुभाष और निकिता सिंघानिया की शादी 2019 में हुई थी और दोनों का एक बेटा भी है, जो 2020 में पैदा हुआ था। अतुल बिहार के रहने वाले थे, जबकि निकिता उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की निवासी हैं।अतुल की आत्महत्या के बाद उनके परिवार की शिकायत पर पुलिस ने निकिता सिंघानिया और उनके परिवार के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया। बेंगलुरू पुलिस ने निकिता, उनकी मां और भाई को गिरफ्तार किया, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई।