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सफेद सूट, टाई वाले बाबा को पसंद है लाल रंग, चश्माें से सब ठीक करने का दावा…जानिए नारायण साकार हरि के बारे में कई नए चौंकाने वाले खुलासे

हाथरस : उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कस्बे में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का सत्संग 2 जुलाई दिन मंगलवार काे चल रहा था। सत्संग समाप्त होने के बाद जैसे ही भीड़ यहां से निकलना शुरू हुई तो भगदड़ मच गई, जिसमें 120 से अधिक लाेगाें की मौत हो गई और 100 से अधिक भक्त बेहोश हो गए थे। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों में हैं। उनका सबसे बड़ा आश्रम उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में बताया जाता है।- ताे चलिए आज हम आपकाे नारायण साकार हरि के जीवन और उनके कुछ रहस्याें के बारे में बताते हैं-

नारायण साकार हरि कौन हैं ?

नारायण साकार हरि उत्तर प्रदेश के एटा जिले के बहादुर नगरी गांव के रहने वाले हैं, जहां से उन्होंने अपनी शिक्षा शुरू की, जिसके बाद उन्होंने खुफिया विभाग में नौकरी हासिल की और आध्यात्मिकता की ओर मुड़ने से पहले लंबे समय तक वहां काम किया। अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने के बाद, उन्होंने अपना नाम सूरजपाल से बदलकर नारायण साकार हरि रख लिया और पटियाली गांव में एक आश्रम की स्थापना की। कहा जा रहा हैं, कि 1990 के दशक में उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और आध्यात्म में रम गए। कुछ लोग दावा करते हैं कि वह यूपी पुलिस में भी रहे हैं। साकार हरि का कहना हैं कि उनके समागम में जो भी दान, दक्षिणा आती है, उसे वह अपने पास नहीं रखते थे, बल्कि भक्तों में खर्च कर देते थे।

नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के चश्माें का दावा

नारायण साकार हरि अक्सर सफेद सूट, टाई और जूते पहने हुए दिखाई देते हैं, कभी-कभी पारंपरिक कुर्ता-पायजामा भी पहनते हैं। उन्हाेंने अक्सर सत्संग के दौरान चश्मे लगाते हुए देख गया हैं, जाे अलग-अलग रंगाें के हाेते हैं। इन चश्माें का मतलब भी अलग-अलग ही हैं। नीले रंग के चश्मे से देखने से बीमार लोगों को दिव्य दृष्टि डालकर ठीक करने का दावा, हरे रंग के चश्मे से भूत-प्रेत उतारने का दावा, ब्राउन और काला चश्मा से जिनके जीवन में कुछ ठीक न चल रहा, उनको शांति देने के लिए बाबा लगाता था। आम दिनों में बाबा नजर का चश्मा लगाता था। भक्तों का कहना था कि बाबा अपनी आंखों से जब ये चश्मा उतारते थे तो उनकी दिव्य दृष्टि से लोग ठीक हो जाते थे। इसके लिए सेवादारों द्वारा पहले से ही मरीज चिन्हित करके आगे बैठाए जाते थे।

नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा काे पसंद था लाल रंग

नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में जाने वाली महिला ने बताया कि बाबा को लाल रंग पसंद था। बाबा के गांव वालाें का कहना हैं, कि बाबा के आश्रम में महिलाएं आती थी। यहां तक की ये भी कहा जा रहा हैं, कि कुंवारी लड़कियां लाल जोड़े में तैयार होती थी, यहां तक की सत्संग समिति की तरफ से कुंवारी लड़कियों को विशेष ड्रेस दी जाती थी। यहां तक ​​कि बाबा के गांव के लोगों को भी उनके गांव में जाने की इजाजत नहीं थी।

इस वजह से हुआ हादसा

पुलिस और वहां मौजूद लाेगाें का कहना हैं, कि नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान जाे रंगाेली बनाई गई थी, जिस कारण ये हादसा हुआ। सत्संग में सवा दाे टन बुरादे से रंगाेली बनाई गई थी, जाे उनके हर सत्संग के दौरान बनाई जाती हैं। नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा इस रंगाेली पर चलकर निकलते हैं। जब भक्ताें ने बाबा काे इस पर से निकलते देखा ताे, भक्ताें में रंगाेली का बुरादा लेने की हाेड़ मच गई और भगदड़ मच गई।

दैनिक सवेरा ने यह पूरी जानकारी सोशल मीडिया से ली है।

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