नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि जून से देश भर में एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी दिमागी बुखार के 148 मामले सामने आए और 59 मरीजों की मौत हो गई। मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि 51 मामलों में चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) की पुष्टि हुई है। बयान के मुताबिक, 31 जुलाई तक गुजरात के 24 जिलों में 140, मध्यप्रदेश में चार, राजस्थान में तीन और महाराष्ट्र में एईएस का एक मामला दर्ज किया गया। मंत्रालय ने बताया कि जून के आरंभ से ही गुजरात में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामले सामने आए हैं।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) व राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक और भारतीय आयुíवज्ञन अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक तथा मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के क्षेत्रीय कार्यालयों ने बृहस्पतिवार को संयुक्त रूप से स्थिति की समीक्षा की हैं। बयान के मुताबिक, 19 जुलाई 2024 से ‘एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम’ की दैनिक रिपोर्ट में नए मामलों में गिरावट का रुझान स्पष्ट है। बयान में बताया गया कि गुजरात ने मच्छर जनित रोगों के नियंत्रण के लिए कीटनाशक स्प्रे, सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी), चिकित्सा र्किमयों को रोग की जानकारी उपलब्ध कराने और नामित सुविधाओं के लिए मामलों को समय पर रेफर करने जैसे विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय किए हैं।
बयान के मुताबिक, सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने और प्रकोप की विस्तृत महामारी विज्ञान जांच करने के लिए गुजरात राज्य सरकार की सहायता के लिए एक राष्ट्रीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया दल (एनजेओआरटी) को तैनात किया गया है। बयान में बताया गया कि एईएस मामलों की रिपोर्ट करने वाले पड़ोसी राज्यों का मार्गदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) की ओर से एक संयुक्त परामर्श जारी किया जा रहा है। मंत्रालय ने बताया कि चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) रबडोविरिडे परिवार का सदस्य है जो देश के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी भागों में विशेष रूप से मानसून के मौसम में छिटपुट मामलों और प्रकोप का कारण बनता है।
यह बीमारी अधिकतर 15 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। इसमें बुखार हो सकता है, जिसके कारण शरीर में ऐंठन, कोमा की स्थिति और कुछ मामलों में मृत्यु तक हो सकती है। हालांकि चांदीपुरा वायरस के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है और प्रबंधन लक्षणों के आधार पर किया जाता है। एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के संदिग्ध मामलों को समय पर निर्दिष्ट सुविधाओं से लैस अस्पतालों में स्थानांतरित करने से परिणामों में सुधार हो सकता है।