नेशनल डेस्क : भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जो देश को अंदर से खोखला कर देती है। इसके खिलाफ कई आंदोलन हुए हैं और कई बार सरकारें तक गिर चुकी हैं। फिर भी, यह एक ऐसी दीमक की तरह है जो देश की व्यवस्था को धीरे-धीरे खराब करती रहती है। क्या आप जानते हैं कि भारत दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में कहां आता है? और किस देश में भ्रष्टाचार सबसे कम है? आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में गिरावट
आपको बता दें कि ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी किए गए 2024 के भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) के अनुसार, भारत की स्थिति कुछ बेहतर नहीं है। इस सूची में भारत 96वें स्थान पर है, जो कि पिछले साल के मुकाबले तीन पायदान नीचे है। 2024 में भारत का स्कोर 38 रहा है, जबकि 2023 में यह 39 था और 2022 में यह 40 था।
दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट देश
दरअसल, भ्रष्टाचार की दृष्टि से दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट देशों में डेनमार्क सबसे ऊपर है। डेनमार्क का स्कोर 90 है, जो इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे प्रभावी बनाता है। इसके बाद फिनलैंड (88), सिंगापुर (84), और न्यूजीलैंड (83) का नंबर आता है।
आगे की सूची में ये देश हैं
- लक्जमबर्ग, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड 81 अंकों के साथ 5वें स्थान पर हैं।
- स्वीडन का स्कोर 80 और नीदरलैंड का 78 है, जिनका क्रमशः 8वां और 9वां स्थान है।
- ऑस्ट्रेलिया, आइसलैंड और आयरलैंड 77 अंकों के साथ 10वें स्थान पर हैं।
सबसे भ्रष्ट देश
दुनिया के सबसे भ्रष्ट देश के रूप में दक्षिण सूडान सामने आया है, जिसका स्कोर केवल 8 है। इसके बाद सोमालिया (स्कोर: 9), वेनेजुएला (10), और सीरिया (12) आते हैं, जो क्रमशः 179वें, 178वें और 177वें स्थान पर हैं।
भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति
भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति भी कुछ खास बेहतर नहीं है। पाकिस्तान 135वें स्थान पर है, श्रीलंका 121वें पर है, बांग्लादेश 149वें स्थान पर है, और चीन 76वें स्थान पर है।
इन देशों की रैंकिंग में गिरावट
कुछ देशों की रैंकिंग में गिरावट भी देखने को मिली है:
- अमेरिका का स्कोर 69 से घटकर 65 हो गया, जिससे उसकी रैंकिंग 24वें से घटकर 28वें स्थान पर आ गई है।
- फ्रांस का स्कोर 4 अंक गिरकर 67 हो गया, और उसकी रैंकिंग 25वीं हो गई।
- जर्मनी का स्कोर 75 हो गया और उसकी रैंकिंग 6 स्थान गिरकर 15वें स्थान पर आ गई है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ देशों के प्रयासों का असर देखा जा सकता है, जहां कुछ देश अपने प्रयासों से काफी सुधार कर चुके हैं, वहीं कुछ देश इसे समाप्त करने में नाकाम रहे हैं। भारत के लिए यह सोचने का विषय है कि उसे इस दिशा में और सुधार की आवश्यकता है, ताकि देश के भीतर भ्रष्टाचार को खत्म किया जा सके और लोगों को पारदर्शिता का अहसास हो सके।