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महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर गांधीजी के जीवन से जुड़े खास किस्सों को कीजिए याद

नेशनल डेस्क : महात्मा गांधी की 77वीं पुण्यतिथि पर पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी, खरगे सभी बड़े नेताओं ने राजघाट जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। बता दें कि 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि होती है। यह दिन भारतीय इतिहास में एक दुखद दिन के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसी दिन नाथूराम गोडसे ने नई दिल्ली के बिरला भवन में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गांधीजी की शहादत के बाद, इस दिन को शहीद दिवस (Shaheed Divas) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को हम उनके महान कार्यों और बलिदान को याद करने के रूप में सम्मानित करते हैं।


महात्मा गांधी का योगदान

महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा, और सत्याग्रह के सिद्धांतों का पालन करते हुए भारत की आज़ादी के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया। उनका मानना था कि बिना हिंसा के भी बड़े से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। उन्होंने भारतीय जनता को अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया और यही कारण था कि उन्होंने भारत में विभाजन और नफरत के बावजूद एकता और शांति की आवश्यकता पर बल दिया।

शहीद दिवस पर सम्मान

गांधीजी की पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके विचारों, सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं। शहीद दिवस के दिन, विशेष रूप से नई दिल्ली में, हर साल समर्पण और श्रद्धा के साथ गांधीजी की याद में आयोजन किए जाते हैं। इस दिन सभी भारतीयों को गांधीजी के आदर्शों को आगे बढ़ाने का संदेश दिया जाता है। आज शहीद दिवस के अवसर पर हम महात्मा गांधी जी के जीनव से जुड़ी कुछ कहानियों पर प्रकाश डालेंगे और उनके जीवन के बारे में जानेंगे। वैसे तो महात्मा गांधी के जीवन की कई दिलचस्प कहानियाँ हैं, जो उनके साहस, सत्य, अहिंसा, और दृढ़ संकल्प को दर्शाती हैं। एक ऐसी कहानी है, जो उनकी शुरुआती उम्र से जुड़ी हुई है और यह हमें सिखाती है कि कैसे उन्होंने छोटी-छोटी गलतियों से भी सीख ली और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाया।

गांधीजी और उनकी पहली सच्चाई

महात्मा गांधी जब छोटे थे, तब उनका स्कूल जीवन बहुत सामान्य था। एक दिन जब गांधीजी स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे, तो उनकी कुछ सहपाठियों ने उन्हें तंग किया। गांधीजी बहुत शर्मीले थे, और उन्होंने किसी को कुछ नहीं कहा। लेकिन एक दिन उन्होंने देखा कि कुछ बच्चों ने एक किताब की चोरी की थी। गांधीजी को यह बात बहुत गलत लगी, लेकिन उन्होंने किसी को बताने के बजाय चुप रहकर अपनी ओर से इस पर ध्यान नहीं दिया। कुछ समय बाद गांधीजी की एक आदत बनी जब भी कोई गलत काम होता, वे उसे देख कर चुप नहीं रहते थे।

गांधीजी का आत्मविश्वास और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता

एक और दिलचस्प कहानी उनकी सत्य के प्रति प्रतिबद्धता से जुड़ी है। एक बार गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में थे, और उन्हें ट्रेन में यात्रा करते समय रंगभेद का सामना करना पड़ा। गांधीजी को एक पहले वर्ग के डिब्बे में यात्रा करने के लिए टिकट मिला था, लेकिन उन्हें ट्रेन से नीचे उतार दिया गया क्योंकि वे भारतीय थे। गांधीजी ने इस अपमान को स्वीकार नहीं किया और यह निर्णय लिया कि वे कभी भी किसी प्रकार के भेदभाव को सहन नहीं करेंगे।

गांधीजी ने वहां के अधिकारियों के खिलाफ संघर्ष किया और इस संघर्ष में उन्होंने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों को अपनाया। इस घटना ने उनकी जीवन की दिशा को बदल दिया और वे एक महान नेता के रूप में उभरकर सामने आए। महात्मा गांधी की यह दिलचस्प कहानी यह दर्शाती है कि किस तरह उन्होंने छोटी-छोटी घटनाओं से बड़ा पाठ सीखा और हमेशा सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया। गांधीजी की सरलता, सत्य के प्रति उनका दृढ़ विश्वास और अन्याय के खिलाफ उनका संघर्ष आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

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