Dainik Savera Times | Hindi News Portal

Deport Indians: निर्वासितों का अमेरिका में बसने का सपना टूटा, ‘हाथों में हथकड़ी, जंजीरों से जकड़े थे पैर..’, सभी ने सुनाई दर्द भरी दास्तां

Deport Indians : चंडीगढ़। बेहतर जीवन के लिए इन लोगों ने अमेरिका में बसने का सपना देखा था। लेकिन अब ‘जंजीरों’ में जकड़े हुए लौटने के बाद अंधरकारमय भविष्य उन्हें डरा रहा है। शनिवार को अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरे अमेरिकी सैन्य विमान में सवार 116 अवैध भारतीय प्रवासियों में से कई ने बताया कि उनके परिवार ने उन्हें अमेरिका भेजने के लिए अपनी कृषि भूमि बेचकर या गिरवी रखकर या अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर बड़ी रकम का इंतजाम किया था।
 निर्वासित लोगों के नए समूह में पंजाब के 65, हरियाणा के 33, गुजरात के आठ, उत्तर प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान के दो-दो तथा हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर का एक-एक व्यक्ति शामिल था। रविवार को पंजाब के फिरोजपुर जिले में अपने गांव चांदीवाला पहुंचे सौरव (20) ने बताया कि 27 जनवरी को जब वह सीमा पार कर देश (अमेरिका) में घुसने की कोशिश कर रहा था तो उसे अमेरिकी अधिकारियों ने पकड़ लिया था। वह पिछले साल 17 दिसंबर को घर से अमेरिका के लिए निकला था।
सौरव ने कहा, हमें 18 दिनों तक एक शिविर (हिरासत केंद्र) में रखा गया। उन्होंने कहा कि उनके मोबाइल फोन ले लिए गए थे। सौरव ने कहा, परसों हमें बताया गया कि हमें दूसरे शिविर में ले जाया जाएगा। जब हमें विमान में बिठाया गया तो उन्होंने कहा कि हमें भारत ले जाया जा रहा है।
सौरव ने बताया कि उनके परिवार ने उन्हें विदेश भेजने के लिए 45-46 लाख रुपये खर्च किए। उन्होंने कहा, दो एकड़ कृषि भूमि बेची गई और कमीशन एजेंट से पैसे उधार लिए गए।  अपनी यात्रा के बारे में सौरव ने कहा कि उन्हें एम्स्टर्डम, पनामा और मैक्सिको होते हुए अमेरिकी सीमा तक ले जाया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या अमृतसर जाते समय उन्हें बेड़ियां लगाई गई थीं, सौरव ने कहा, हमें हथकड़ी लगाई गई थी और हमारे पैरों में जंजीरें बांधी गई थीं।
 गुरदासपुर जिले के खानोवाल घुमन गांव के निवासी हरजीत सिंह को उनके चचेरे भाई के साथ अमेरिका से निर्वासित कर दिया गया। उन्होंने कहा, हम आज सुबह करीब छह बजे घर पहुंचे।उन्होंने कहा, हमें 27 जनवरी को अमेरिकी सीमा पार करते समय पकड़ा गया और 18 दिनों तक हिरासत केंद्र में रखा गया। हमें 13 फरवरी को निर्वासित कर दिया गया और हमारे हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरें डाल दी गईं। हरजीत ने बताया कि परिवार ने उनके और उनके चचेरे भाई के अमेरिका जाने पर 90 लाख रुपये खर्च किये।
हरजीत ने कहा, हमें आश्वासन दिया गया था कि हमें कानूनी तरीके से अमेरिका ले जाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। होशियारपुर जिले के बोदल गांव निवासी मंताज सिंह (22) ने बताया कि जैसे ही वह अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया। उन्होंने बताया कि डंकी रूट के जरिए वहां ले जाया गया।
डंकी रूट अमेरिका में प्रवेश करने के लिए प्रवासियों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक अवैध और जोखिम भरा रास्ता है। कपूरथला जिले के बेहबल बहादुर गांव के निवासी साहिल प्रीत सिंह के माता-पिता ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को विदेश भेजने में 40-45 लाख रुपये खर्च किए। साहिल की मां हरविंदर कौर ने दावा किया कि एक ट्रैवल एजेंट ने उनके साथ धोखाधड़ी की है। उन्होंने कहा कि परिवार ने कृषि भूमि और सोने के आभूषण बेचकर तथा अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर पैसों का इंतजाम किया था।
धोखेबाज एजेंटों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग
पंजाब सरकार से उनके बेटे को नौकरी देने और धोखेबाज एजेंट के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की भी मांग की। मोगा जिले के धरमकोट गांव के जसविंदर सिंह करीब 45 दिन पहले घर से अमेरिका के लिए निकले थे। उनके गांव के एक सरपंच ने बताया कि परिवार ने डेढ़ एकड़ जमीन बेचकर 45 लाख रुपए जुटाए और उन्हें एक ट्रैवल एजेंट को दे दिया, जिसने उन्हें ठग लिया।
Exit mobile version