डेरा ब्यास प्रमुख बाबा Gurinder Singh और Jasdeep Gill पहुंचे जालंधर, दर्शन कर भावुक हुए श्रद्धालु, देखें Live

जालंधर : डेरा ब्यास प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह और जसदीप सिंह ने आज राधा स्वामी सत्संग घर सेंटर पटेल चौक जालंधर पहुंचे हैं। बाबा जी के दर्शन कर श्रद्धालु बहुत भावुक हाे गए। संगत काे दर्शन देने के लिए अलग-अलग डेराें में जा रहे हैं। इस बारे में संगत काे पहले ही बताया गया था.

जालंधर : डेरा ब्यास प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह और जसदीप सिंह ने आज राधा स्वामी सत्संग घर सेंटर पटेल चौक जालंधर पहुंचे हैं। बाबा जी के दर्शन कर श्रद्धालु बहुत भावुक हाे गए। संगत काे दर्शन देने के लिए अलग-अलग डेराें में जा रहे हैं। इस बारे में संगत काे पहले ही बताया गया था कि आज जालंधर में बाबा गुरिंदर सिंह और जसदीप सिंह संगत काे दर्शन करने आएंगे। बता दें, 2 सितम्बर काे बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने सुखदेव सिंह गिल के पुत्र जसदीप सिंह गिल को राधा स्वामी सत्संग ब्यास सोसायटी का संरक्षक मनोनीत किया है।

लंबे समय से कैंसर से जूझ रहें है बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों

बता दें कि बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों, पिछले कुछ सालों से कैंसर और दिल से संबंधित जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। ऐसे में आगे कौन डेरा ब्यास चलाएगा? इसको देखते हुए उत्तराधिकारी की घोषणा की गई। इस अहम निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए सभी सेवादार इंचार्जों को एक पत्र भी भेजा गया है।इस पत्र में कहा गया कि बाबा ढिल्लों ने सुखदेव सिंह गिल के पुत्र जसदीप सिंह गिल को ‘राधा स्वामी सत्संग ब्यास सोसाइटी’ का नया संरक्षक नियुक्त किया है।

जानें नए संरक्षक जसदीप सिंह गिल के बारे में

जसदीप सिंह गिल ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। मई 2024 में फार्मास्युटिकल कंपनी सिप्ला लिमिटेड के मुख्य रणनीति अधिकारी (चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिस) और वरिष्ठ प्रबंधन कर्मियों के रूप में पद छोड़ दिया था। यहां से पहले वो मार्च 2024 तक वेल्थी थेरेप्यूटिक्स के बोर्ड सदस्य थे और इससे भी पहले उन्होंने रैनबैक्सी में सीईओ के कार्यकारी सहायक के रूप में किया। साथ ही कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी एंटरप्रेन्योर्स में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

बता दें, सन 1891 में राधा स्वामी सत्संग ब्यास की स्थापना हुई थी। इसे बाबा जैमल सिंह द्वारा स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य धार्मिक संदेश देना, लोगों की मदद करना है। इस समय ये संस्था अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड समेत 90 देशों में है।

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