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बांग्लादेशी नागरिकों के अवैध प्रवास में मदद करने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 8 गिरफ्तार

नेशनल डेस्क: दिल्ली पुलिस ने एक गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए आठ बांग्लादेशी नागरिकों और उनके भारतीय साथियों को गिरफ्तार किया है जो दक्षिण दिल्ली में उनके अवैध प्रवास में मदद कर रहे थे। अधिकारी ने बताया कि छह अन्य प्रवासियों को विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) के माध्यम से निर्वासित कर दिया गया, जबकि चार अन्य की जांच की जा रही है।

उन्होंने बताया कि कार्रवाई के दौरान पुलिस ने एक फर्जी पहचान दस्तावेज गिरोह और सीमापार धन शोधन करने वाले एक रैकेट का पर्दाफाश किया, जो डिजिटल भुगतान ऐप के माध्यम से धन बांग्लादेश पहुंचाता था। उन्होंने बताया कि कुछ प्रवासियों ने अपने बच्चों का स्थानीय विद्यालयों में दाखिला भी करा रखा था।

डीएसपी अंकिता चौहान का बयान
पुलिस उपायुक्त (डीएसपी) (दक्षिण) अंकिता चौहान ने कहा, ‘‘गिरोह ने बांग्लादेशी प्रवासियों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने में कथित तौर पर मदद की और उन्हें आश्रय, रोजगार और जालसाजी के जरिये आधार, पैन, मतदाता पहचान पत्र और यहां तक ??कि भारतीय पासपोर्ट भी उपलब्ध कराए।’’अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में मोहम्मद आलमगीर (34) भी शामिल है, जो 2007 में भारत आया था और कबाड़ी के तौर पर काम करता था। अधिकारी ने बताया कि उसने एक भारतीय महिला से शादी कर ली थी और उसके दो बच्चे (13 और 9 साल) हैं। अधिकारी ने बताया कि मोहम्मद आलमगीर का छोटा भाई मोहम्मद ज्वेल इस्लाम (27) 2021 में आया था और वह भी कबाड़ी के धंधे में लगा हुआ था।

साल 2000 से भारत में रह रहा था रिजाउल
अधिकारी ने बताया कि एक अन्य आरोपी, मोहम्मद रिजाउल, वर्ष 2000 से भारत में रह रहा था और उसने भारतीय पासपोर्ट प्राप्त कर लिया था। उन्होंने बताया कि इससे मोहम्मद रिजाउल भारत और बांग्लादेश के बीच अक्सर यात्र करता था। चौहान ने बताया कि वह अपनी यात्रओं का इस्तेमाल कथित तौर पर धन और अन्य सामान लाने-ले जाने के लिए करता था। उन्होंने बताया कि पुलिस ने कमरुज्जमां की भी पहचान कर ली है, जिसने 2014 में भारत में प्रवेश किया था और जाली पहचान दस्तावेजों का उपयोग करके एक ऑनलाइन खाद्य वितरण मंच के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहा था।

इस बीच, मोहम्मद नदीम शेख दिल्ली में सफाईकर्मी के रूप में कार्यरत था और मोहम्मद लतीफ खान (37), 2015 से यहां रह रहा था और कूड़ा बीनने का काम करता था और अक्सर धनराशि अनौपचारिक माध्यमों से बांग्लादेश भेजता था।

मदद करने वाला भारतीय नागरिक गिरफ्तार 
डीएसपी ने कहा कि मोहम्मद मिजानुर रहमान (43) 2022 में भारत आया था, कोटला मुबारकपुर में एक कबाड़ी के रूप में काम कर रहा था, जबकि रबीउल (25), भी उसी वर्ष आया था। वह डिफेंस कॉलोनी में एक अस्पताल परिचारक के रूप में कार्यरत था। पुलिस ने बताया कि अवैध प्रवासियों के अलावा, उनकी सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कई भारतीय नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है।

मोइनुद्दीन गिरोह का मुख्य सदस्य 
उन्होंने बताया कि पहचान जालसाजी गिरोह के पीछे मुख्य व्यक्ति मोहम्मद मोइनुद्दीन था, जो दिल्ली में एक कंप्यूटर दुकान संचालित करता था और फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज बनाने के लिए जिम्मेदार था। पुलिस ने कहा कि मोइनुद्दीन तीन आधार पंजीकरण एजेंट – जुल्फिकार अंसारी, जावेद और फरमान खान के साथ मिलकर काम करता था, जिन्होंने अवैध प्रवासियों को सरकारी डेटाबेस में पंजीकृत करने के लिए अपने आधिकारिक प्राधिकार का इस्तेमाल किया।

डीसीपी चौहान ने बताया कि जांच में रैकेट के वित्तीय पहलू का भी पता चला है, जिसमें दो लाइसेंसधारी विदेशी मुद्रा एजेंट मनवर हुसैन और निमाई करमाकर शामिल हैं, जो कथित तौर पर बांग्लादेश में अवैध धन के हस्तांतरण का प्रबंधन करते थे। उन्होंने कहा कि दरगाह हजरत निजामुद्दीन में काम करने वाला हुसैन अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों से धन एकत्र करता था और हवाला जैसी प्रणाली के माध्यम से इसके हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता था।

19 पैन कार्ड समेत ये दस्तावेज बरामद 
अधिकारी ने कहा कि करमाकर और एक अन्य एजेंट गौरंग दत्त कथित तौर पर मुद्रा विनिमय संभालते थे, जिससे गिरोह बिना पकड़े संचालित हो रहा था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने 23 मतदाता पहचान पत्र, 19 पैन कार्ड, 17 ??आधार कार्ड, 11 जन्म प्रमाण पत्र, छह खाली मतदाता पहचान पत्र और दस्तावेज जालसाजी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक कंप्यूटर सीपीयू भी बरामद किया। पुलिस ने कहा कि जालसाजी और साजिश के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), साथ ही विदेशी अधिनियम, 1946 और आधार अधिनियम, 2016 की धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि आगे की जांच की जा रही है।

 

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