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Gbs Virus जिसने स्वास्थ्य विभाग में मचाया हड़कंप, जानिए क्या है इसके लक्षण और बचाव के उपाय

Gbs Virus symptoms and preventive measures ; नेशनल डेस्क : महाराष्ट्र में गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और यह संक्रमण अब राज्य में गंभीर चिंता का विषय बन गया है। हाल ही में मुंबई के नायर अस्पताल में 53 साल के एक मरीज की मौत हो गई है, जो.

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Gbs Virus symptoms and preventive measures ; नेशनल डेस्क : महाराष्ट्र में गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और यह संक्रमण अब राज्य में गंभीर चिंता का विषय बन गया है। हाल ही में मुंबई के नायर अस्पताल में 53 साल के एक मरीज की मौत हो गई है, जो GBS वायरस के कारण प्रभावित था। मृतक वडाला इलाके का निवासी था और बीएमसी के बीएन देसाई अस्पताल में वार्ड बॉय के रूप में काम करता था। नायर अस्पताल में भर्ती एक नाबालिग लड़की की भी स्थिति चिंताजनक है, जिसे GBS वायरस ने संक्रमित किया है। यह मामला यह संकेत देता है कि GBS अब सिर्फ बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि युवा और बच्चों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। अस्पताल में उसकी इलाज प्रक्रिया जारी है और डॉक्टर्स उसकी हालत पर निगरानी बनाए हुए हैं। इस बीच आज हम यह जानेंगे की GBS वायरस क्या हैं, कैसे इससे बचाव किया जा सकता है, और क्या है इसके लक्ष्ण…

क्या है GBS वायरस

GBS (Guillain-Barré Syndrome) एक गंभीर तंत्रिका संबंधी स्थिति है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम अपनी ही तंत्रिका कोशिकाओं पर हमला करती है। यह आमतौर पर पेरिफेरल नर्वस सिस्टम (जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के बाहर स्थित नसों का हिस्सा है) को प्रभावित करता है। GBS एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसका मतलब है कि शरीर की इम्यून सिस्टम सामान्यत: बाहरी खतरों (जैसे बैक्टीरिया या वायरस) से लड़ने के बजाय अपनी ही कोशिकाओं पर हमला करती है।

GBS के लक्षण

GBS के लक्षण आमतौर पर अचानक शुरू होते हैं और इसमें कुछ इस तरह की समस्याएं हो सकती हैं…

  • कमजोरी या पंगुता (paralysis) जो आमतौर पर पैरों से शुरू होकर ऊपर की ओर बढ़ सकती है।
  • सांस लेने में समस्या: अगर यह तंत्रिका तंत्र की गंभीर स्थिति बन जाती है तो सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
  • पैरों और हाथों में झुनझुनी या दर्द।
  • तंत्रिका में जलन और संवेदनशीलता में बदलाव।
  • घबराहट या उलझन।

GBS के कारण

GBS वायरस से संक्रमण के बाद हो सकता है, लेकिन यह वायरस के कारण हमेशा नहीं होता। इसके प्रमुख कारणों में शामिल हैं:

  • वायरल संक्रमण: जैसे कि जापानी बुखार, एंफ्लूएंजा (फ्लू), कोविड-19 या ज़िका वायरस।
  • बैक्टीरियल संक्रमण: जैसे कि कैम्पिलोबैक्टर (जो आंतों में संक्रमण पैदा करता है)।
  • इन्फेक्शन या वैक्सीन से प्रतिक्रिया: कभी-कभी इन्फेक्शन के बाद शरीर की इम्यून सिस्टम अपना गलत प्रतिक्रिया देती है, जिससे GBS हो सकता है।

GBS से बचाव

GBS के लिए कोई निश्चित बचाव नहीं है क्योंकि यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है, लेकिन कुछ उपाय हैं जिनसे इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।

  • फ्लू या अन्य वायरल संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण करवाएं। खासकर फ्लू वैक्सीनेशन और कोविड-19 वैक्सीनेशन जैसी वैक्सीनेशन से बचाव में मदद मिल सकती है।
  • किसी भी तरह के संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और उपचार करवाएं।
  • हाइजीन का ध्यान रखें, जैसे हाथों को साबुन और पानी से नियमित रूप से धोना, ताकि संक्रमण फैलने का जोखिम कम हो।

सतर्कता

  • यदि आपको ज्यादा कमजोरी या तंत्रिका संबंधी लक्षण (जैसे झुनझुनी, दर्द या मांसपेशियों की कमजोरी) महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

स्वस्थ जीवनशैली

  • एक स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखें, जैसे संतुलित आहार और नियमित व्यायाम। इससे आपकी इम्यून सिस्टम मजबूत रहेगी और संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी।

GBS का इलाज

GBS का इलाज जल्दी शुरू करने से स्थिति में सुधार हो सकता है।

  • प्लाज्मा एक्सचेंज (Plasma exchange): इसमें रक्त से संक्रमित प्लाज्मा को हटाया जाता है और स्वस्थ प्लाज्मा डाला जाता है।
  • इम्यून ग्लोबुलिन थेरेपी (IVIg): यह उपचार शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया को शांत करने के लिए दिया जाता है।
  • फिजियोथेरेपी और रीहैबिलिटेशन: मरीज को शारीरिक क्रियाएं करने में मदद देने के लिए फिजियोथेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।

GBS एक गंभीर स्थिति है, लेकिन इसका इलाज समय पर किया जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद तंत्रिका संबंधित समस्याएं महसूस करता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। GBS से बचाव के लिए संक्रमण से बचने के उपायों और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना महत्वपूर्ण है।


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