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स्तन पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना… रेप का प्रयास नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

नेशनल डेस्क: किसी लड़की के स्तनों को पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना और घसीटने की कोशिश करना… दुष्कर्म का अपराध नहीं माना जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बच्ची के साथ रेप की कोशिश के मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि ये हरकतें प्रथम दृष्टया “गंभीर यौन उत्पीड़न” के अपराध के अंतर्गत आती हैं।

समन को हाईकोर्ट में चनौती दी थी
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने ट्रायल कोर्ट के पहले के आदेश को संशोधित किया, जिसमें दो आरोपियों पवन और आकाश को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों की रोकथाम (पोक्सो) अधिनियम की धारा 18 (अपराध करने का प्रयास) के तहत तलब किया गया था। आरोपियों ने निचली अदालत के समन को हाईकोर्ट में चनौती दी थी।

आरोपियों ने दिया ये तर्क 
आरोपियों की तरफ से ये तर्क दिया गया था कि उन्होंने धारा 376 के तहत कोई अपराध नहीं किया। यह मामला केवल आईपीसी की धारा 354-बी (कपड़े उतारने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के साथ-साथ पोक्सो अधिनियम की धारा 9 और 10 (गंभीर यौन हमला) के अंतर्गत आता है। इलाहाबाद होईकोर्ट ने भी इस पर सहमति दिखाई और कहा कि इन धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जाए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी नाबालिग लड़की के निजी अंग पकड़ना, उसके पायजामे की डोरी को तोड़ना और घसीटने की कोशिश करना या दुष्कर्म के प्रयास का मामला नहीं बनता। कोर्ट ने इसे अपराध की तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर बताया और निचली कोर्ट द्वारा तय गंभीर आरोप में संशोधन का आदेश दिया।

जानें पूरा मामला
बता दें कि, साल 2021 में यूपी के कासगंज में पवन और आकाश नाम के दो लोगों पर एक नाबालिग लड़की से रेप करने का आरोप लगा। पीड़िता ने आरोप लगाया कि आरोपियों ने लिफ्ट देने के बहाने रेप करने की कोशिश की। पवन और आकाश ने पीड़िता के स्तनों को पकड़ा, आकाश ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की। लेकिन राहगीरों ने उसे बचा लिया जबकि आरोपी पीड़िता को छोड़कर मौके से भाग गए।

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