Himachal Politics : Sukhu सरकार की बढ़ी मुश्किलें, वीरभद्र सिंह के बेटे Vikramaditya Singh ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा

उन्होंने कहा कि इसको लेकर मैंने प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को बता दिया है।

शिमला (सृष्टि/गजेंद्र) : सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। वीरभद्र सिंह के बेटे PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सुक्खू सरकार से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर मैंने प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को बता दिया है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं और वर्तमान हालात को देखते हुए मैं इस सरकार में नहीं रह सकता हूं। विक्रमादित्य ने कहा कि हमने हमेशा कांग्रेस आलाकमान का सम्मान किया है और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सम्मान किया है, लेकिन विधायकों की शिकायत का समाधान नहीं हुआ, ये विधायकों की अनदेखी का ही नतीजा है कि हम राज्यसभा चुनाव हारे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी निष्ठा पार्टी के साथ है, इसलिए खुलकर बोल रहा हूं। उन्होंने कहा कि क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की अनदेखी हुई है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हमने पार्टी के हर मंच पर उठाया था, लेकिन उनकी अनदेखी हुई है।

विक्रमादित्य सिंह ने कहा, कि मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि मौजूदा परिस्थितियों में मेरा सरकार का हिस्सा बने रहना सही नहीं है, इसलिए मैंने फैसला किया है कि मैं मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे रहा हूं। मैं मंत्री पद से इस्तीफा दे रहा हूं। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि राज्यसभा चुनाव के नतीजों में क्रॉस वोटिंग के बाद कांग्रेस उम्मीदवार हार गए, यह सरकार बनने के बाद से पिछले साल चली आ रही व्यवस्था का नतीजा है। “…इसमें कोई संदेह नहीं है कि (विधानसभा) चुनाव में पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के नाम का इस्तेमाल किया गया था…यह तथ्य की बात है, रिकॉर्ड की बात है। यह सरकार सभी के योगदान से बनी है।”

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि शासन का एक साल पूरा हो गया है। मैंने सरकार के कामकाज के बारे में कभी कुछ नहीं कहा, लेकिन आज इसे स्पष्ट रूप से कहना मेरी जिम्मेदारी है…मैंने हमेशा कहा है कि पद और कैबिनेट पद मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं हैं। मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात हिमाचल प्रदेश के लोगों के साथ संबंध हैं, लेकिन पिछले एक साल में सरकार में जिस तरह की व्यवस्था चली, जिस तरह से विधायकों की अनदेखी की गई और उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की गई, यह उसी का परिणाम है। उन्होंने आगे कहा कि वह अपने समर्थकों के साथ विचार-विमर्श के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने कहा, कि “आने वाले समय में, मैं अपने लोगों के साथ वीडियो परामर्श करूंगा और फिर भविष्य की कार्रवाई के बारे में फैसला करूंगा…।”

1989 में जन्मे विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। वह पूर्व सीएम दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। उनकी मां प्रतिभा सिंह मंडी से सांसद हैं। वह राज्य कांग्रेस प्रमुख भी हैं। विक्रमादित्य सिंह दो बार के विधायक हैं। उन्होंने 2017 में अपना पहला चुनाव जीता। उन्होंने 2023 में भी यही प्रदर्शन दोहराया।

कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश की एकमात्र राज्यसभा सीट खो दी

राज्यसभा सीट के लिए हुए मतदान में कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी के हर्ष महाजन दोनों को 34-34 वोट मिले थे, हालांकि ड्रॉ के जरिए महाजन ने जीत हासिल की हैं। एक आश्चर्यजनक उलटफेर में, क्रॉस वोटिंग करने वाले छह कांग्रेस विधायकों में सुधीर शर्मा (धर्मशाला) और राजिंदर राणा (सुजानपुर) शामिल थे, दोनों मंत्री पद के इच्छुक थे; इंद्र दत्त लखनपाल (बड़सर); रवि ठाकुर (लाहौल-स्पीति); चैतन्य शर्मा (गगरेट); और देवेंदर भुट्टो (कुटलैहड़)। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी के पक्ष में वोट किया। कांग्रेस ने मंगलवार देर रात अपने वरिष्ठ नेताओं भूपिंदर सिंह हुड्डा और डीके क्रॉस वोटिंग से पैदा हुए संकट को सुलझाने के लिए शिवकुमार शिमला गए।

बता दें, आज बुधवार सुबह ही भाजपा नेता और विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात की और सरकार के खिलाफ बजट सत्र में फ्लोर टेस्ट की मांग की।

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