बिहार डेस्क : आज के दिन ही बिहार को एक पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था। इसलिए हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस मनाया जाता है। इसी बीच आज हम बिहार के इतिहास के बारे में विस्तार से जानेंगे। बता दें कि बिहार का इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन इतिहास से जुड़ा हुआ है। यह राज्य प्राचीन काल में मगध साम्राज्य का हिस्सा था, जिसने भारतीय संस्कृति, धर्म, और राजनीति में अहम भूमिका निभाई। बिहार में ही गौतम बुद्ध ने अपनी प्राप्ति (बोधि) प्राप्त की थी, और यहीं भगवान महावीर का जन्म हुआ था। इसके अलावा, बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय, जो दुनिया का पहला विश्वविद्यालय था, भी स्थित था।
लेकिन, बिहार के आधुनिक इतिहास की शुरुआत ब्रिटिश काल से होती है। अंग्रेजों ने बिहार को अपनी साम्राज्य के तहत एक महत्वपूर्ण प्रांत बना लिया था। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद बिहार भारतीय गणराज्य का हिस्सा बना।
भारत की स्वतंत्रता के बाद के परिवर्तन
भारत की स्वतंत्रता के बाद, 15 अगस्त 1947 को जब ब्रिटिश साम्राज्य का अंत हुआ, तो बिहार भी भारतीय गणराज्य का हिस्सा बना। प्रारंभ में बिहार को बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा माना जाता था, और इसे एक विशाल क्षेत्र के रूप में देखा जाता था। लेकिन 1912 में बंगाल प्रेसीडेंसी का विभाजन हुआ, और बिहार एक अलग प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया।
विभाजन और पुनर्गठन
बिहार राज्य का गठन तब हुआ, जब 1 अप्रैल 1936 को बिहार और उड़ीसा का विभाजन किया गया, और बिहार को एक पूर्ण प्रांत के रूप में स्थापित किया गया। उस समय उड़ीसा को बिहार से अलग कर दिया गया। इसके बाद बिहार का विकास तेज़ी से हुआ, और इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण भी पहचाना गया।
बिहार का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व
बिहार के इतिहास में कई महान आंदोलन और संघर्ष हुए हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण राज्य बनाते हैं। यहां के लोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, खासकर चंपारण सत्याग्रह (1917) और बिहार आंदोलन (1974) के लिए प्रसिद्ध हैं। महात्मा गांधी ने बिहार में चंपारण सत्याग्रह के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन किया था, जिसमें बिहार की जनता ने बडी संख्या में भाग लिया था।
इसके अलावा, बिहार का सांस्कृतिक महत्व भी बहुत बड़ा है। राज्य में महात्मा बुद्ध, गुरु गोविंद सिंह, और अन्य महान संतों और विचारकों का जन्म हुआ था। बिहार के कई प्रमुख स्थल जैसे बोधगया, राजगीर, और नालंदा विश्वविद्यालय आज भी अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के प्रमुख केंद्र हैं।
कब मनाया जाता है बिहार दिवस?
बिहार दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है। यह दिन उस तारीख को याद करने के रूप में मनाया जाता है, जब बिहार को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में लाया गया था। 22 मार्च 1912 को बंगाल प्रेसीडेंसी का विभाजन हुआ था और बिहार एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में अस्तित्व में आया था। इस दिन को बिहार दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत 2010 से हुई, जब राज्य सरकार ने इस दिन को बिहार के इतिहास और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को सम्मानित करने के रूप में मनाने की घोषणा की।
बिहार दिवस के महत्व और आयोजन
बिहार दिवस का आयोजन राज्यभर में बड़े धूमधाम से किया जाता है। इस दिन राज्य सरकार द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, खेलकूद प्रतियोगिताएं, साहित्यिक गतिविधियां, और ऐतिहासिक विचार विमर्श शामिल होते हैं। यह दिन बिहार की समृद्ध संस्कृति, इतिहास, और उपलब्धियों को मनाने का एक अवसर होता है। विभिन्न जिलों में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं इस दिन को मनाती हैं, और इसमें बिहार के समृद्ध इतिहास और विकास की चर्चा की जाती है।
वर्तमान में बिहार की स्थिति
हालांकि बिहार को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जैसे गरीबी, बेरोजगारी, और शिक्षा की कमी, फिर भी पिछले कुछ दशकों में बिहार ने विकास के कई क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया है। राज्य ने शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, और कृषि क्षेत्रों में कई सुधार किए हैं। बिहार की राजनीति में भी बदलाव आया है, और यह राज्य भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
बिहार का गठन एक ऐतिहासिक प्रक्रिया का हिस्सा था, जिसमें राज्य ने कई दौरों से गुजरकर एक स्वतंत्र प्रांत के रूप में अस्तित्व में आकर अपनी अलग पहचान बनाई। बिहार दिवस का उत्सव इस राज्य की समृद्ध संस्कृति, इतिहास और भविष्य के प्रति गर्व को दर्शाता है। बिहार का इतिहास भारतीय सभ्यता के लिए एक अनमोल धरोहर है, और इस राज्य का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, संस्कृति, और धर्म में अनमोल रहेगा।