इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर आखिरकार धरती पर लौट आए हैं। दोनों एस्ट्रोनॉट्स पिछले साल जून में सिर्फ आठ दिनों के मिशन के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) गए थे, लेकिन विमान में तकनीकी खराबी आ गई, जिससे उनकी वापसी में देरी हो गई और उन्हें 9 महीने से ज्यादा समय तक स्पेस में रहना पड़ा।
इस दौरान यह सवाल उठता है कि इतने लंबे समय तक स्पेस में रहने के लिए इन एस्ट्रोनॉट्स का भोजन कैसे हुआ। न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार, सुनीता और बुच स्पेस में पिज्जा, रोस्ट चिकन, झींगा कॉकटेल और अन्य पौष्टिक आहार का सेवन कर रहे थे। हालांकि, ताजे भोजन की कमी हो गई थी, क्योंकि वे सीमित मात्रा में ताजा खाना ले गए थे। इसके बावजूद, नासा के डॉक्टर यह सुनिश्चित कर रहे थे कि दोनों एस्ट्रोनॉट्स को उनकी जरूरी कैलोरी मिलती रहे।
ताजे भोजन की कमी
प्रारंभ में स्पेस में ताजे फल, सब्जियां, रोस्ट चिकन और पिज्जा उपलब्ध थे, लेकिन ये कुछ महीनों में ही खत्म हो गए। इसके बाद सुनीता और बुच को पाउडर दूध, डिहाइड्रेटेड कैसरोल और फ्रीज-ड्राई सूप जैसे खाद्य पदार्थों से काम चलाना पड़ा। नासा ने इस दौरान अंतरिक्ष स्टेशन के पानी और कचरे को रीसायकल करने की व्यवस्था की थी, जिससे पानी और अन्य संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग हो सके।
खाने की कोई कमी नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही ताजे भोजन की कमी हो, लेकिन स्पेस में भोजन की कोई कमी नहीं थी। स्पेस स्टेशन में हर दिन एक अंतरिक्ष यात्री के लिए करीब 3.8 पाउंड भोजन उपलब्ध रहता है। इसके अलावा, अप्रत्याशित मिशन विस्तार के लिए अतिरिक्त आपूर्ति भी मौजूद रहती है। नासा ने बताया कि खाने की वस्तुएं चुंबकीय ट्रे पर धातु के बर्तनों में रखी जाती हैं, ताकि वे तैरकर इधर-उधर न जाएं और अंतरिक्ष में खाने में कोई दिक्कत न हो।
रिसर्च और वैज्ञानिक प्रयोग
स्पेस में अपने इस लंबे समय के दौरान, सुनीता और बुच ने 900 घंटे तक रिसर्च की और 150 वैज्ञानिक प्रयोग किए। इन प्रयोगों को नासा के लिए बहुत महत्वपूरण माना जा रहा है और इनसे भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सहायक जानकारी मिल सकती है। नासा ने इस मिशन के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सुनीता और बुच की वापसी की योजना के मुताबिक होनी चाहिए थी, लेकिन स्पेस में उनके लंबा फंसे रहने के बावजूद, वे सुरक्षित रहे और उनके स्वास्थ्य पर कोई नकरात्मक असर नहीं पड़ा।