पुणे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत को अक्सर अपने अल्पसंख्यकों के मुद्दों का समाधान करने की सलाह दी जाती है, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि दूसरे देशों में अल्पसंख्यक समुदाय किस स्थिति का सामना कर रहे हैं। उन्होंने यहां हिंदू सेवा महोत्सव की शुरुआत के अवसर पर यह भी कहा कि विश्व शांति की बात करके आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, विश्व शांति के बारे में बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं। हमें (भारत) विश्व शांति के बारे में सलाह भी दी जा रही है, लेकिन साथ ही, युद्ध भी नहीं रुक रहे। हमें अक्सर अपने देश में अल्पसंख्यकों के बारे में चिंता करने के लिए कहा जाता है जबकि हम देख रहे हैं बाहर अल्पसंख्यक किस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं। आरएसएस प्रमुख ने पड़ोसी बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा का कोई उल्लेख नहीं किया, हालांकि आरएसएस ने शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद हाल के हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की है।
भागवत ने कहा, मानव धर्म सभी धर्मों का शाश्वत धर्म है, जो विश्व धर्म है। इसे हिंदू धर्म भी कहा जाता है। हालांकि, दुनिया इस धर्म को भूल गई है। उनका धर्म एक ही है लेकिन वे भूल गए, और उसके कारण, आज हम पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं समेत विभिन्न प्रकार की समस्याएं देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश के बाहर बहुत से लोग सोचते हैं कि भारत के भूमिका निभाए बिना विश्व शांति संभव नहीं है। आरएसएस प्रमुख ने कहा, उनका मानना है कि यह केवल भारत और इसकी समृद्ध परंपरा ही है जो ऐसा कर सकती है और 3,000 वर्षों से ऐसा होता आया है। दुनिया की इस आवशय़कता को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है।