नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर जब से पैसों का बंडल मिला है पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं अब दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास में आग लगने के बाद का एक वीडियो हाल ही में सार्वजनिक हुआ है, जिसमें कथित तौर पर जले हुए नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं। इस मामले की जांच में दिल्ली हाई कोर्ट की आंतरिक रिपोर्ट और वीडियो फुटेज भी सामने आए हैं। शनिवार देर रात, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया, जिससे मामला और जटिल हो गया है। इसके साथ ही जस्टिस यशवंत वर्मा का इस मामले को लेकर पहला बयान सामने आया है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
#WATCH | The Supreme Court released the inquiry report filed by Delhi High Court Chief Justice Devendra Kumar Upadhyaya into the controversy relating to High Court Justice Yashwant Varma. In his report, the Delhi High Court Chief Justice said that he is of the prima facie opinion… pic.twitter.com/1xgMh8xWNW
— ANI (@ANI) March 22, 2025
कई लोग करते है इस जगह का इस्तेमाल …
आपको बता दें कि जांच रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस यशवंत वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य ने स्टोर रूम में कोई नकदी नहीं रखी थी। उन्होंने इसे पूरी तरह से “हास्यास्पद” बताया और कहा कि यह घटना उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश लगती है। उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार के सभी वित्तीय लेन-देन बैंकिंग चैनलों, यूपीआई एप्लिकेशनों और कार्ड के माध्यम से होते हैं, न कि नकद लेन-देन के माध्यम से। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिस घर में नोटों की गड्डियां मिली है, वह उनके आवास से दूर है। इसके साथ ही कई लोग इस घर का इस्तेमाल करते है।
घटनास्थल पर मिले जले हुए नोट
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मौके पर मौजूद पुलिस और फायर ब्रिगेड टीम को चार से पांच अधजली नोटों की गड्डियां मिली थीं। गार्ड के मुताबिक, जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा हटाए जाने पर जली हुई नकदी के साथ अन्य अधजली चीजें भी बरामद हुई थीं। हालांकि, जस्टिस वर्मा का कहना है कि वीडियो में दिखाई गई जली हुई नकदी घटनास्थल पर उनके उपस्थित रहने के दौरान नहीं मिली थी।
SC की गहन जांच और समिति का गठन
वहीं इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया, और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं। यह समिति इस घटना की गहन जांच करेगी।इसके साथ ही, दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया गया है कि फिलहाल जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए, ताकि जांच पूरी निष्पक्ष रूप से हो सके।
रिपोर्ट और वीडियो के सार्वजनिक होने के बाद उठे सवाल
इस मामले के सामने आने के बाद, कई सवाल उठ रहे हैं और कड़ी कार्रवाई की मांग भी की जा रही है। जस्टिस वर्मा ने कहा कि दिसंबर 2024 में उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर भी अफवाहें फैलाई गई थीं, और यह घटना उसी साजिश का हिस्सा प्रतीत होती है। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास में आग लगने की घटना अब एक बड़ा विवाद बन चुकी है। वहीं पुलिस के द्वारा जस्टिस वर्मा से पिछले 6 महीने के कॉल रिकॉर्ड भी मांगे गए है।