नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर राजधानी के जाट समुदाय को आरक्षण देने के वादे से मुकरने का आरोप लगाया। केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली के जाट समुदाय को केंद्र सरकार की अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सूची में शामिल करने की मांग की है। उन्होंने केंद्र पर पिछले एक दशक से समुदाय को गुमराह करने और वादों को पूरा करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया। केजरीवाल ने कहा, 2015 में भाजपा ने जाट नेताओं को प्रधानमंत्री आवास पर आमंत्रित किया और उन्हें आश्वासन दिया कि दिल्ली के जाट समुदाय को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी 2019 में यही वादा किया था। हालांकि, इन वादों को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया गया। उन्होंने सवाल किया कि राजस्थान के जाट छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में आरक्षण का लाभ क्यों मिलता है, जबकि दिल्ली के जाट छात्रों को इससे वंचित रखा जाता है। उन्होंने कहा, दिल्ली में जाट समुदाय के हजारों बच्चे डीयू में दाखिला लेने में असमर्थ हैं, क्योंकि समुदाय केंद्रीय ओबीसी सूची का हिस्सा नहीं है। केजरीवाल ने यह आरोप भी लगाया कि दिल्ली के जाटों को दिल्ली में ओबीसी श्रेणी के तहत मान्यता दिए जाने के बावजूद, केंद्र सरकार ने उन्हें लाभ देने से इनकार कर दिया है। ‘आप’ प्रमुख ने कहा, यह विश्वासघात है।
केंद्र को दिल्ली के जाट समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें नौकरियों और कॉलेज में दाखिले समेत केंद्र सरकार के संस्थानों में आरक्षण मिले। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) जैसी केंद्रीय एजेंसियां दिल्ली में बड़े पैमाने पर काम करती हैं और जाटों को ओबीसी सूची में शामिल करने से उनके लिए महत्वपूर्ण अवसर पैदा होंगे। उन्होंने समुदाय की मांगें पूरी होने तक लड़ाई जारी रखने का वादा किया। दिल्ली की 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के लिए पांच फरवरी को मतदान होगा। परिणाम आठ फरवरी को घोषित किए जाएंगे।