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अंतिम श्रावण सोमवार आज, देशभर के शिव मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अचलेश्वर महादेव मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और पवित्र श्रावण महीने के पांचवें और आखिरी सोमवार को भगवान शिव की पूजा की। उन्होंने बेलपत्र, दूध और माला चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा की। इस अवसर पर आयोजित विशेष पूजा और अभिषेक में भाग लिया। आज रक्षाबंधन का त्यौहार भी है और श्रद्धालुओं ने भगवान से भाई-बहन के बीच अटूट बंधन की प्रार्थना की। कई लोगों ने भगवान शिव को राखी बांधी और निरंतर सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के कारण यह मंदिर बहुत धार्मिक महत्व रखता है और देश भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, खासकर श्रावण के दौरान, जब यह धार्मिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु बन जाता है। झारखंड के देवघर में श्रद्धालुओं ने श्रावण के आखिरी सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए बाबा बैद्यनाथ धाम का दौरा किया। बाबा बैद्यनाथ धाम, एक अन्य ज्योतिर्लिंग है, जिसे भगवान शिव के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।

 

विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु इस पवित्र मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए आए। गुजरात में बिलिमोरा के ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। 1,600 साल से भी अधिक पुराना यह मंदिर ‘स्वयंभू’ (स्वयं प्रकट) शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे विशेष रूप से श्रावण के दौरान एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बनाता है। सोमवार को दूर-दूर से श्रद्धालु आते और अनुष्ठानों और मेलों में भाग लेते देखे जा सकते थे, जिससे मंदिर का माहौल आध्यात्मिक हो गया।

इसी तरह उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भी श्रद्धालुओं ने श्रावण के आखिरी सोमवार को नागेश्वरनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। आज श्रावण (या सावन) के पवित्र महीने का आखिरी सोमवार है, ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान शिव की पूजा करने वालों को भरपूर आशीर्वाद मिलता है। श्रावण मास, जो आमतौर पर जुलाई और अगस्त के बीच पड़ता है, भगवान शिव को समर्पित पूजा, उपवास और तीर्थयात्रा का समय होता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्रावण वह महीना है जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष को पी लिया था, जिससे ब्रह्मांड को उसके विषैले प्रभावों से बचाया जा सका था। इस अवधि के दौरान, भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास और प्रार्थना करते हैं। श्रावण की बारिश को भगवान शिव की करुणा और परोपकार के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

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