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Lok Sabha Elections 2024 : Hemant Karkare शहीद हुए हैं, वह देश के लिए लड़े : Sanjay Raut

Sanjay Raut

Sanjay Raut

मुंबईः महाराष्ट्र की सियासत में पिछले कुछ दिनों से एटीएस के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे की चर्चा तेज हो गई है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा था कि हेमंत करकरे की मौत आतंकी अजमल कसाब की गोली से नहीं, बल्कि मुंबई पुलिसकर्मी की गोली से हुई है। इधर अब शिवसेना उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने करकरे को शहीद बताया है। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार की ओर से हेमंत करकरे पर लगाए गए आरोपों को लेकर शिवसेना उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि हेमंत करकरे शहीद हुए हैं, वह देश के लिए लड़े हैं। कसाब और उनकी टोली जब मुंबई में घुसी तब करकरे साहब उनसे लड़े। वह कसाब की गोली से मरे या किसी और की गोली से, इस बात का पता लगाना हमारा काम काम नहीं है।

संजय राउत ने कहा कि करकरे साहब बैटलफील्ड में थे, वह एटीएस के प्रमुख थे। मुंबई में हुए आतंकी हमले में हेमंत करकरे शहीद हो गए। कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि करकरे साहब की शहादत रहस्यमय है। मैं यह नहीं मानता। पुलिस महकमे के और भी लोग शहीद हुए। आपको मालूम है अशोक कामटे, तुकाराम भोमाले समेत कई अन्य लोग भी शहीद हुए थे। वह देश के दुश्मनों के खिलाफ एक बहुत बड़ा युद्ध था। उन्होंने कहा कि उस वक्त आरएसएस और करकरे साहब का झगड़ा चल रहा था, एक संघर्ष चल रहा था। इसलिए इस तरह की बातें आती हैं, यह मेरी व्यक्तिगत राय है। मैं एक पत्रकार हूं, लोगों से मेरी बातचीत होती है। एटीएस ने उस वक्त दो लोगों को पकड़ा था। टेररिस्ट एक्टिविटी में प्रज्ञा सिंह और कर्नल पुरोहित आरएसएस से जुड़े हुए लोग थे। दूसरे स्वामी दयानंद रमेश उपाध्याय, मुझे याद है क्योंकि उस केस को मैं स्टडी कर रहा था, मेरे पास बहुत से लोग आते थे, खासकर आरएसएस के लोग आते थे कि गलत तरीके से करकरे साहब ने एक्शन लिया है।

कर्नल पुरोहित की फैमिली मेरे पास आई थी कि हमारे लोगों को गलत तरीके से करकरे ने फंसाया है। आरएसएस का और उनका एक अंदरूनी संघर्ष चल रहा था और उसके वजह से मुझे लगता है यह थिअरी सामने आई। दूसरी बात विजय वैजेटिवार का नाम आप क्यों लेते हैं। हु किल्ड करकरे किताब आपने पढ़ी होगी, यह किताब किसने लिखी थी, हसन मुश्रीफ जो भाजपा के साथ थे। हसन मुश्रीफ से पूछिए कि आपका क्या संबंध है, आपने यह किताब क्यों लिखी। उन्होंने कहा कि हू किल्ड करकरे किताब में भी यही थ्योरी है। कर्नल पुरोहित, प्रज्ञा सिंह ठाकुर का आरोप था कि करकरे ने उनको टॉर्चर किया। करकरे ने ऐसे बहुत से लोगों को गिरफ्तार किया था जो आरएसएस से जुड़े हुए थे, लेकिन मैं इन सब पर विश्वास नहीं रखता हूं, वहां टेररिस्ट अटैक हुआ था और उनको शहादत मिली।

दरअसल, भाजपा की ओर से मुंबई उत्तर मध्य सीट से उज्जवल निकम को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने एसएम मुश्रीफ की किताब का हवाला देते हुए कहा था कि पूर्व एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की हत्या जिस गोली से हुई थी, वह कसाब या आतंकियों की बंदूक से नहीं हुई थी। इस बात को उज्‍जवल निकम ने कोर्ट के सामने नहीं रखी। एसएम मुश्रीफ (शमशुद्दीन मुश्रीफ) की किताब में इस बात का जिक्र है कि हेमंत करकरे की हत्या जिस गोली से हुई है, वह गोली आतंकियों की नहीं है। उज्जवल निकम भाजपा का काम करते आ रहे हैं। अजमल कसाब को फांसी दिलाना कोई बड़ी बात नहीं है। कोर्ट से जमानत दिलाने वाला कोई भी सामान्य वकील यह काम कर सकता था।

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