लुधियाना के व्यक्ति के पास प्राचीन सिक्कों, हस्तलिखित पांडुलिपियों, शस्त्रों का दुर्लभ संग्रह

चंडीगढ़: पंजाब के 52 वर्षीय नरेंद्र पाल सिंह के पास 80,000 से ज्यादा सिक्के, हस्तलिखित पांडुलिपियां और प्राचीन हथियार हैं जो उन्होंने कई वर्षों की मेहनत के बाद एकत्रित किए हैं। इन प्राचीन सिक्कों में 600 ईसा पूर्व के कई शासकों के काल के सिक्के शामिल हैं। मेकैनिकल इंजीनियर सिंह ने 35 साल से अधिक.

चंडीगढ़: पंजाब के 52 वर्षीय नरेंद्र पाल सिंह के पास 80,000 से ज्यादा सिक्के, हस्तलिखित पांडुलिपियां और प्राचीन हथियार हैं जो उन्होंने कई वर्षों की मेहनत के बाद एकत्रित किए हैं। इन प्राचीन सिक्कों में 600 ईसा पूर्व के कई शासकों के काल के सिक्के शामिल हैं। मेकैनिकल इंजीनियर सिंह ने 35 साल से अधिक का वक्त दुर्लभ कलाकृतियां एकत्रित करने में बिताए। उनके इस जुनून के चलते आज उनके पास दुर्लभ सिक्के, हथियार एवं कवच का अच्छा-खासा संग्रह है।

सिंह ने कहा, ‘‘जब मैं 14 साल का था तब मैंने सिक्के और टिकटें एकत्रित करना शुरू किया था। यह मेरा शौक बन गया। मेरे दादा ने मुझे भारत में अंग्रेजों के शासन काल के कुछ सिक्के दिए थे लेकिन और सिक्के एकत्रित करने में मेरी रूचि बढ़ती गई और यह मेरा जुनून बन गया।’’ नरेंद्र पाल सिंह के इस जुनून के कारण आज उनके पास मध्ययुगीन, मुगल और ब्रिटिश काल समेत 600 ईसा पूर्व के कई शासकों के 80,000 से ज्यादा सिक्कों का दुर्लभ संग्रह है। हालांकि उनकी सिख शासन के दौरान के सिक्के एकत्रित करने में ज्यादा दिलचस्पी है।

सिंह ने कहा कि उनके पास सिख शासन के दौरान के अमृतसर, लाहौर, मुल्तान, पेशावर, कश्मीर, डेरा गाजी खान और आनंदगढ़ में टकसाल में बने सिक्के हैं। उन्होंने बताया कि इन सिक्कों पर ‘ज़रब’ (फ़ारसी शब्द जिसका मतलब टकसाल होता है) के साथ क्षेत्र का नाम लिखा हुआ है जो दिखाता है कि सिक्का कौन से टकसाल में बना है। ‘नेशनल न्यूमिसमेटिक सोसायटी’ के महासचिव सिंह ने कहा कि उन्होंने ऑनलाइन नीलामी के जरिए दुर्लभ सिक्के खरीदे और कई बार उन्होंने सिक्के सुनारों तथा कबाड़ विक्रेताओं से दो गुना और तीन गुना दाम पर खरीदे। इन सुनारों को ये सिक्के बुजुर्ग ग्रामीणों से मिले थे।

सिक्कों के अलावा लुधियाना के नरेंद्र पाल सिंह ने गुरमुखी भाषा में लिखी हस्तलिखित पांडुलिपियां भी एकत्रित की हैं। उनके पास गुरमुखी में लिखी ‘भगवत गीता’, ‘रामायण’ का भी संग्रह है। उन्होंने बताया कि इन ग्रंथों में बेहद पतले कागज का इस्तेमाल किया गया है। सिंह के पास मुगल काल की तलवारें, खंजर, कटार और तीरों समेत शस्त्रों का भी बहुत बड़ा खजाना है। उनके पास दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह के वक्त में इस्तेमाल किए गए तीर-कमान भी हैं।

यह पूछने पर कि इन दुर्लभ वस्तुओं को खरीदने में उन्होंने कितना पैसा खर्च किया है, इस पर सिंह ने कहा, ‘‘मैंने अपनी सारी कमायी लगा दी और बल्कि इन प्राचीन वस्तुओं के लिए अपनी संपत्तियां भी बेच दी।’’ सिंह का सपना एक आधुनिक कला संग्रहालय बनाने का है जिसमें वह अपने संग्रह को उचित तरीके से संरक्षित रख सकें तथा उसका प्रदर्शन कर सकें।

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