प्रयागराज: दुनिया के सबसे बड़े सनातन समागम महाकुंभ का भव्य शुभारंभ आज सोमवार को पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के साथ हो गया। जिसने आज 144 वर्षों में एक बार देखी गई आध्यात्मिक भव्यता की याद ताजा कर दी। यहां देश और दुनिया भर से भक्तों का एक समूह न केवल जप, ध्यान और आध्यात्मिक तृप्ति के लिए एकत्र हुआ, बल्कि महाकुंभ की बेजोड़ सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करने के लिए भी एकत्र हुआ। इस अवसर पर डेढ़ करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पतित पाविनी गंगा, श्यामल वर्ण यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर अमृत स्नान किया।
इसके साथ ही महाकुम्भ की विशिष्ट परंपरा कल्पवास की भी शुरुआत हो गई है। पद्म पुराण और महाभारत के अनुसार संगम तट पर माघ मास में कल्पवास करने से सौ वर्षों तक तपस्या करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। विधि-विधान के अनुसार लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम तट पर केला, तुलसी और जौं रोपकर एक महा व्रत और संयम का पालन करते हुए कल्पवास की शुरुआत की।
45 दिवसीय महाकुंभ 2025 में संगम नोज समेत सभी प्रमुख घाटों पर डुबकी लगाते समय श्रद्धालु हर-हर महादेव, जय श्री राम और जय बजरंग बली के जयकारे लगाते नजर आए। बिहार, हरियाणा, बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आए। पवित्र नगरी प्रयागराज में संगम नोज समेत स्थायी और अस्थायी घाटों पर भारी भीड़ है। कई भक्तों को दिव्य वातावरण से अभिभूत, नम आंखों के साथ देखा गया। वहीं कई लोग प्रार्थना, अनुष्ठान और एकता की भावना में डूबे रहे। दो दिन पहले ही लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान करना शुरू कर दिया था, जो दर्शाता है कि 45 दिवसीय महाकुंभ 2025 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लगाए गए भीड़ के अनुमान को पार कर सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट किया “ मानवता के मंगलपर्व ‘महाकुम्भ 2025’ में ‘पौष पूर्णिमा’ के शुभ अवसर पर संगम स्नान का सौभाग्य प्राप्त करने वाले सभी संतगणों, कल्पवासियों, श्रद्धालुओं का हार्दिक अभिनंदन। प्रथम स्नान पर्व पर आज 1.50 करोड़ सनातन आस्थावानों ने अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया। प्रथम स्नान पर्व को सकुशल संपन्न कराने में सहभागी महाकुम्भ मेला प्रशासन, प्रयागराज प्रशासन,पुलिस, नगर निगम प्रयागराज, स्वच्छाग्रहियों, गंगा सेवा दूतों, कुम्भ सहायकों, धार्मिक-सामाजिक संगठनों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों तथा मीडिया जगत के बंधुओं सहित महाकुम्भ से जुड़े केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों को हृदय से साधुवाद। पुण्य फलें, महाकुम्भ चलें।”
महाकुंभ की भव्यता ने किया पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध:-
महाकुंभ की भव्यता ने न केवल भारतीय श्रद्धालुओं, बल्कि दुनिया भर से आए पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया। संगम घाट पर अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रियों और आध्यात्मिक साधकों का तांता उत्सव में शामिल हुआ। दक्षिण कोरिया के कई यूट्यूबर इस दिव्य अनुभव को अपने कैमरों में कैद करते नजर आए, जबकि जापान के पर्यटकों ने स्थानीय गाइडों से इस आयोजन के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को समझने की कोशिश की। सोमवार को रूस-अमेरिका समेत यूरोप के विभिन्न देशों से आए श्रद्धालु आस्था और एकता के इस महापर्व के साक्षी बने और डुबकी भी लगाई। कई अंतरराष्ट्रीय मेहमानों में स्पेन की क्रिस्टीना भी शामिल थीं, जिन्होंने महाकुंभ की भव्यता के लिए अपनी हार्दिक प्रशंसा व्यक्त की और इसे “जीवन में एक बार होने वाला अनुभव” बताया। उल्लेखनीय रूप से, इस वर्ष के महाकुंभ में अपेक्षित भीड़ कई देशों की आबादी को पार करने की उम्मीद है, जो इसे वास्तव में एक वैश्विक आयोजन बनाती है।
आस्था के महासंगम में चहुंओर सारा दिन हर-हर गंगे के जयकारे गूंजते रहे। साधु संतों की उपस्थिति से वातावरण भक्ति रस से ओतप्रोत बना रहा। गरीब अमीर, जाति धर्म से परे आस्था का यह समागम देश की एकता और अखंडता का प्रतीक बन कर दुनिया भर में अपनी आभा फैला रहा था।महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक पर्व है। इसका आयोजन हर 12 सालों के बाद किया जाता है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर श्रद्धालुओं का अद्भुत नजारा देखने को मिला। आधी रात से ही श्रद्धालु और कल्पवासी संगम तट पर जुटने लगे थे। हर-हर गंगे और जय श्रीराम के गगनभेदी जयकारों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा। विदेशी श्रद्धालुओं ने भी पावन स्नान किया।