Maha Kumbh Stampede : महाकुंभ में मौनी अमावस्या के मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बाद मचीभगदड़ ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं हैं। कई परिवारों के लिए महाकुंभ मेला इस बार दर्द और गम की वजह बन गया। भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की जान चली गई। इस दर्दनाक हादसे के बाद प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों और पीड़ित परिवारों का कहना है कि भगदड़ के दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों की मौजूदगी नगण्य थी। अगर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होते, तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी। परिजनों ने सरकार से मांग की है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों में सुरक्षा को प्राथमिकता दीजाए ताकि ऐसी घटनाएं फिर से न हों।
करीब 1600 लाेग हैं मिसिंग
इस हादसे में करीब 1600 लोग मिसिंग हैं। वे अपनों को खोज रहे हैं। कभी खोया-पाया केंद्र, कभी पुलिस स्टेशन, तो कभी संगम घाट पर भटक रहे हैं। डिजिटल खोया-पाया केंद्र पर मंगलवार देर रात हुई भगदड़ के बाद तक करीब 1600 से ज्यादा लोगअपनों को खोजते हुए पहुंचे।
कम से कम 20 शव परिवारों को सौंपे : डीआईजी वैभव कृष्ण
महाकुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने शाम करीब 06.45 पर संवाददाताओं को बताया कि संगम घाट पर रात 1 से 2 बजे के बीच हुई घटना में 30 लोगों की मौत हो गई। मौनी अमावस्या के चलते भारी भीड़ उमड़ पड़ी और उसने बैरिकेड्स तोड़ दिए। जानकारी के अनुसार, मृतकों की सख्या इससे भी कहीं अधिक हाे सकती हैं। कम से कम 20 शव परिवारों को सौंपे जा चुके हैं। अब तक कुंभ में श्रद्धालु संगम घाट पर लापता हुए अपने परिवार के सदस्यों की तलाश कर रहे हैं।
पुलिस ने जमीन पर आराम कर रहे लोगों को की तितर-बितर करने की कोशिश
कई लोगों ने बताया कि भगदड़ के कुछ घंटों बाद ही वे अपने प्रियजनों से बिछड़ गए थे, लेकिन प्रशासन से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है। भगदड़ के कई चश्मदीदों ने बताया कि संगम घाट के पास की जगह पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा थे, जिनमें से कुछ ने शाही स्नान के शुरू होने की प्रतीक्षा करते हुए घाट के पास सोए या आराम कर रहे थे। बीती रात 10 बजे से ही भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी। पुलिस ने जमीन पर आराम कर रहे लोगों को तितर-बितर करने की कोशिश की, लेकिन भीड़ वहां से नहीं हिली। इस बीच श्रद्धालुओं का एक और जत्था संगम नदी की ओर बढ़ने लगा, उनमें से कुछ कथित तौर पर घाट को अलग करने वाले बैरिकेड को पार कर गए। वे उसे धकेलते हुए आगे बढ़ गए और इससे भगदड़ मच गई।
हादसे के बाद जमीन पर स्वेटर, साड़ियां, जैकेट और कंबल थे बिखरे पड़े
कई घंटों बाद यहां जमीन पर स्वेटर, साड़ियां, जैकेट और कंबल बिखरे पड़े हैं, जो शायद भगदड़ में मारे गए या घायल हुए लोगों के हैं। छोड़े हुए जूते और चप्पल एक किलोमीटर दूर तक बिखरे पड़े हैं। इसे साफ करने का काम मजदूरों पर छोड़ दिया गया, जबकि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नेतृत्व वाला प्रशासन हेलीकॉप्टर से भक्तों पर फूल बरसा रहा था। वहीं आधिकारिक तौर पर ये आंकड़ा बताने के लिए कोई तैयार नहीं कि भगदड़ के बाद से कितने लोग मिसिंग हैं और कितने मिल गए?