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15 साल से जंजीरों में बंधा है ये शख्स, पत्नी ने भी छोड़ा साथ…अब बहन ने प्रशासन से लगाई बचाने की गुहार

नेशनल डेस्क : राजस्थान के झुंझूनूं से एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, बता दें कि यहां एक शख्स को उसी के परिवारवालों ने पिछले 15 सालों से जंजीर में बांध रखा है। जंजीर में बंधकर जीवन काट रहे इस शख्स का नाम मुस्तफा है। इसकी उम्र करीब 30 साल बताया जा रहा है। आइए जानते है कि आखिर क्यों इसके घरवालों ने इसे जंजीर में बांध रखा है।

मुस्तफा मानसिक रूप से अस्वस्थ है

दरअसल, राजस्थान के झुंझुनूं जिले के मंडावा कस्बे में रहने वाला मुस्तफा मानसिक रूप से अस्वस्थ है, जिसके वजह से इसकी हालत काफी दयनीय हो गई है। 15 वर्षों से मानसिक बीमारी से जूझ रहे मुस्तफा नामक इस युवक को उसके परिवार ने जंजीरों में बांधकर रखा है। मुस्तफा की देखभाल उसकी बहन शाबिरा और भांजे सोयल कर रहे हैं, लेकिन गरीबी के कारण उचित इलाज संभव नहीं हो पा रहा है। उसके माता-पिता का निधन हो चुका है, और उसकी देखभाल उसकी बहन और भांजे के कंधों पर है।

बीमारी के कारण उसकी पत्नी उसे छोड़कर…

हालांकि, मुस्तफा की शादी भी हुई थी, लेकिन मानसिक बीमारी के कारण उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई। जब भी उसे जंजीरों से मुक्त किया जाता है, तो वह हिंसक हो जाता है और आसपास के लोगों पर हमला कर देता है। इस कारण परिवार ने उसे पेड़ से बांधकर रखने का फैसला किया है।

इलाज से मिली थी राहत, लेकिन फिर स्थिति बिगड़ी

मुस्तफा के इलाज का एक प्रयास कुछ साल पहले किया गया था। पूर्व सरपंच सज्जन पूनिया के अनुसार, एक सामाजिक संस्था ने मुस्तफा का इलाज भरतपुर में कराया था, जिससे उसकी हालत में कुछ सुधार हुआ था। हालांकि, इलाज समय पर बंद हो गया और इसके बाद वह फिर से मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गया। पूनिया का कहना है कि प्रशासन को अब आगे आकर मुस्तफा का इलाज सरकारी खर्चे पर करवाना चाहिए, ताकि वह सामान्य जीवन जी सके।

परिवार की स्थिति

मुस्तफा के परिवार का कहना है कि उन्होंने उसकी बीमारी के इलाज में अपनी सारी जमा-पूंजी खर्च कर दी, लेकिन अब उनके पास आगे के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। वे प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि मुस्तफा को मानसिक रोग की बेड़ियों से मुक्त करने के लिए सरकारी सहायता प्रदान की जाए।

प्रशासन से उम्मीदें

मुस्तफा के परिवार के लोग चाहते हैं कि प्रशासन उनके संघर्ष को समझे और मुस्तफा का इलाज सरकारी खर्च पर करवाए। इसके साथ ही, वे इस मामले में जागरूकता फैलाने और समाज से मदद की भी अपील कर रहे हैं, ताकि मुस्तफा को एक नया जीवन मिल सके और वह मानसिक बीमारी से मुक्त हो सके।

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