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MNREGA घोटाला में हुआ बड़ा खुलासा… इस क्रिकेटर की बहन और जीजा 3 साल से ले रहे मजदूरी

नेशनल डेस्क : उत्तर प्रदेश के अमरोहा से एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बता दें कि मनरेगा योजना के तहत फर्जीवाड़ा तरीके से लाभ लेने का एक मामला आया है। इसमें हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि इस मामले में भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन और बहनोई का नाम भी शामिल है। जी हां,  दोनों को पिछले तीन सालों से मनरेगा के तहत लगातार मजदूरी मिल रही है। इस घोटाले पर अब प्रशासन द्वारा जांच शुरू कर दी गई है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…

शमी की बहन और बहनोई को मिली मजदूरी

दरअसल, भारत के प्रसिद्ध क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन शबीना आन और उनके बहनोई के नाम सामने आए हैं, जो मनरेगा के मजदूर के तौर पर दर्ज हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शमी की बहन के खाते में 2021 से लेकर 2024 तक लगातार पैसे जमा होते रहे हैं। यह पैसों का लेन-देन मनरेगा योजना के तहत हुआ है, जबकि अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या शबीना आन और उनके परिवार के सदस्य असल में योजना के लाभार्थी हैं या फिर किसी फर्जीवाड़े का हिस्सा हैं।

अधिकारियों पर उठे सवाल

आपको बता दें कि यह मामला तब सामने आया जब मीडिया ने इस फर्जीवाड़े की जानकारी दी। प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ सवाल उठने लगे हैं कि किस प्रकार से इस तरह के फर्जी लेन-देन हो रहे हैं और वे इन पर नज़र क्यों नहीं रख पा रहे। इस घोटाले में कथित तौर पर मनरेगा के फंड्स को प्रधान ने अपने निजी स्वजनों के खातों में डाला है, जिससे यह योजना के उद्देश्य को नुकसान पहुँचा है।

अमरोहा की DM ने जांच के आदेश दिए

वहीं अब इस मामले पर अमरोहा की जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) निधि गुप्ता वत्स ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। डीएम ने कहा कि यह मामला उनके ध्यान में आया है और जांच पूरी की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि फर्जीवाड़े के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इस मामले की गहनता से जांच की जाएगी।

क्या है मनरेगा योजना?

मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में मजदूरी के अवसर प्रदान करना है। इसके तहत ग्रामीणों को काम देने का प्रावधान है और यह योजना खासकर गरीबों को रोजगार देने के लिए बनाई गई थी। यदि इस योजना का दुरुपयोग किया जाता है तो यह लाखों रुपये के घोटाले का कारण बन सकता है और जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल पाता। यह घोटाला न केवल प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है, बल्कि इस प्रकार के फर्जीवाड़े से मनरेगा योजना के वास्तविक लाभार्थियों को नुकसान हो रहा है। अब देखना यह होगा कि इस मामले की जांच कितनी गंभीरता से की जाती है और क्या जिम्मेदार अधिकारियों और व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है या नहीं।

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