Kedarnath yatra: केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में अहम फैसले लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सोनप्रयाग से केदारनाथ (12.9 किमी) और गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर तक रोपवे परियोजना के निर्माण को मंजूरी दी गई। इसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रैस कांफ्रैंस करके दी। केदारनाथ रोपवे प्रोजैक्ट के बारे में अश्विनी वैष्णव ने बताया, ‘इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अभी जो यात्रा 8-9 घंटे में पूरी होती है, वह घटकर 36 मिनट की हो जाएगी। रोपवे में एडवांस्ड ट्राई-केबल डिटेचेबल गंडोला (3एस) टैक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाएगी। गंडोला अपने आप में एक मिनी बस है। इसमें 36 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। इससे श्रद्धालुओं को बहुत बड़ा फायदा होगा। जो आज 2 महीने की यात्रा है, रोपवे के बाद 6 महीने तक यात्रा करने का सौभाग्य मिलेगा।’
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किमी रोपवे परियोजना के निर्माण को मंजूरी दी है। परियोजना को डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और स्थानांतरण (डीबीएफओटी) मोड पर 4,081.28 करोड़ रुपए की कुल पूंजी लागत पर विकसित किया जाएगा। रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह सबसे उन्नत ट्राई-केबल डिटेचेबल गंडोला (3एस) तकनीक पर आधारित होगा। इसकी डिजाइन क्षमता 1,800 यात्री प्रति घंटे प्रति दिशा (पीपीएचपीडी) होगी, जो प्रति दिन 18,000 यात्रियों को ले जाएगी।
रोपवे परियोजना केदारनाथ आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए वरदान होगी। यह पर्यावरण-अनुकूल, आरामदायक और तेज कनैक्टिविटी प्रदान करेगी और एक दिशा में यात्रा का समय लगभग 8 से 9 घंटे से घटाकर लगभग 36 मिनट कर देगी। रोपवे परियोजना निर्माण और संचालन के साथ-साथ आतिथ्य, यात्रा, खाद्य और पेय पदार्थ (एफएंडबी) और पर्यटन जैसे संबद्ध पर्यटन उद्योगों में पूरे वर्ष रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराएगी।
केदारनाथ मंदिर तक की यात्रा में गौरीकुंड से 16 किमी की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई है और वर्तमान में इसे पैदल या टट्टू, पालकी और हैलीकॉप्टर से तय किया जाता है। प्रस्तावित रोपवे की योजना मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करने और सोनप्रयाग तथा केदारनाथ के बीच हर मौसम में कनैक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। इसके अलावा कैबिनेट ने गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर रोपवे परियोजना के निर्माण को मंजूरी दी। इस परियोजना को डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) मोड पर विकसित किया जाएगा, जिसकी कुल पूंजीगत लागत 2,730.13 करोड़ रुपए होगी। वर्तमान में हेमकुंड साहिब की यात्रा में गोविंदघाट से 21 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई है और इसे पैदल या टट्टू या पालकी से पूरा किया जाता है। प्रस्तावित रोपवे की योजना हेमकुंड साहिब के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों और फूलों की घाटी में आने वाले पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने के लिए बनाई गई है। यह गोविंदघाट और हेमकुंड साहिब के बीच हर मौसम में अंतिम मील की कनैक्टिविटी सुनिश्चित करेगी।
रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह गोविंदघाट से घांघरिया (10.55 किमी) तक मोनोकेबल डिटैचेबल गंडोला (एमडीजी) पर आधारित होगा, जिसे घांघरिया से हेमकुंड साहिब (1.85 किमी) तक सबसे उन्नत ट्राईकेबल डिटेचेबल गंडोला (3 एस) तकनीक से जोड़ा जाएगा। इसका डिजाइन इस तरीके से तैयार किया जाएगा, जिससे इसकी क्षमता प्रति घंटे प्रति दिशा 1,100 यात्री (पीपीएचपीडी) होगी और यह प्रतिदिन 11,000 यात्रियों को ले जाएगा।