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हे भगवान! शाम होते ही मंदिर हो जाता है वीरान…भटकती है औरत की आत्मा, देवी को भोग में अर्पित की जाती है बलि

मध्य प्रदेश : आज हम आपकाे एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर शाम काे लाेग जाने से भी डारते हैं। सूर्य के ढलते ही यह मंदिर विरान हो जाता है। शाम काे यहां से अजीबोगरीब आवाजें आती हैं। यहां तक की स्थनीय लाेगाें का कहना हैं कि यहां पर शाम काे सफेद वस्त्रों में लिपटी एक औरत नजर आती है, ताे चलिए जानते हैं इस मंदिर के रहस्य के बारे में-

मां दुर्गा का यह मंदिर मध्य प्रदेश के देवास जिले में स्थित हैं। यह मंदिर काफी प्राचीन और ऐतिहासिक हैं। मान्यता के अनुसार, सूर्य के ढलते ही यह मंदिर विरान हो जाता है।लोग शाम के बाद यहां आस-पास भी नहीं भटकते है। देवास के स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर के आस-पास शाम होते ही सफेद साड़ी में लिपटी एक औरत की आत्मा नजर आती है। इस आत्मा के डर की वजह से लोग यहां शाम ढलने के बाद जाने से घबराते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण देवास के महाराज ने करवाया था, जबसे यह मंदिर बना तब से ही यहां एक के बाद एक अनहोनी घटनाएं होने लगी थी। कहा जाता हैं कि देवास के महाराज की पुत्री को सेनापति से प्रेम हो गया था, लेकिन महाराज को यह स्वीककार नहीं था, इसलिए राजा ने अपनी ही पुत्री को महल में बंदी बना दिया और जुदाई के गम में राजकुमारी की कुछ समय के बाद मृत्यु हो गई, जिसके बाद सेनापति ने भी दुर्गा के इस मंदिर में अपने प्राण त्याग दिए। सेनापति के प्राण त्यागने के बाद पुरोहित ने राजा को आदेश दिया कि यह मंदिर अब अपवित्र हो चुका है, इसलिए यहां से पुरानी मूर्ति हटाकर नई मूर्ति स्था‍पित की जाए, जिसके बाद से यहां अप्रिय घटनाओं का सिलसिला शुरू हो गया।

देवास के इस मंदिर में देवी मां को भोग में बलि अर्पित की जाती हैं। कहते हैं जो लोग यहां मन में गलत भावना और इरादा लेकर आते हैं उनके साथ बहुत बुरा होता है। स्थानी लोगाें का मनना हैं कि यहां जाे सफेद वस्त्रों में लिपटी एक औरत नजर आती है। वह सेनापति के प्रेम में प्राण त्यागने वाली राजकुमारी हैं, लेकिन इस बात का काेई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।

मंदिर के वास्तु को देखने पर लगता है कि यह मंदिर अपने समय में काफी खूबसूरत रहा होगा, लेकिन अब यह पूरी तरह खण्डहर में तब्दील होता जा रहा है। वैसे मां दुर्गा के प्रति श्रद्धा भाग लेकर कई लोग यहां दर्शन के लिए आते तो हैं, परंतु वे भी ऐसे अजीबोगरीब किस्से सुनकर और काल्पनिक भय के कारण वे शाम होने से पहले ही मंदिर परिसर छोड़ देते हैं।

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