नेशनल डेस्क : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। भारत के इस फैसले के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। लेकिन जो कदम पाकिस्तान ने इसके बाद उठाया, वो जानकर लोगों की हंसी छूट गई। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
पानी नहीं… तो नहर किस लिए?
आपको बता दें कि भारत द्वारा सिंधु जल संधि रोकने के तुरंत बाद पाकिस्तान सरकार ने “चोलिस्तान नहर परियोजना” को ठप कर दिया। यह परियोजना पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के रेगिस्तानी इलाकों में पानी पहुंचाने के लिए बनाई जा रही थी। लेकिन अब जब पानी ही भारत से मिलना बंद हो गया, तो पाकिस्तान सोचने लगा – “नहर बना भी लें तो बहेगा क्या?”
सिंध में उठा राजनीतिक तूफान
इस परियोजना को लेकर पहले से ही सिंध प्रांत में विरोध हो रहा था। वहां की जनता और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के नेता इस योजना को अन्यायपूर्ण मानते रहे हैं। सिंध के लोग पहले ही कह रहे थे कि पंजाब को ज्यादा पानी क्यों दिया जा रहा है। अब जब भारत ने सिंधु से पानी देने पर रोक लगाई, तो चोलिस्तान नहर को लेकर हो रहे राजनीतिक झगड़े को ब्रेक लगाना ही एकमात्र विकल्प रह गया।
बिलावल और शरीफ एक ही सुर में…
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विरोधी नेता बिलावल भुट्टो जरदारी, जो आमतौर पर एक-दूसरे से टकराते रहते हैं, इस मुद्दे पर एक साथ आ गए। दोनों ने मिलकर फैसला लिया कि जब तक सभी प्रांतों में आपसी सहमति नहीं बनती, कोई नई नहर नहीं बनेगी।
‘काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट’ से मिलेगा समाधान ?
अब इस पूरे नहर विवाद को अंतर-प्रांतीय निकाय ‘काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स’ में ले जाया जाएगा, जहां सारे प्रांत आपस में बैठकर इसका समाधान निकालेंगे। मतलब – जब तक सभी ‘हां’ नहीं कहेंगे, तब तक न नहर बनेगी और न पानी बहेगा।
भारत के एक फैसले से पाकिस्तान में सब गड़बड़
भारत ने जब सिंधु जल संधि निलंबित की, तो पाकिस्तान में सिर्फ पानी ही नहीं, राजनीतिक तालमेल भी हिल गया। अब न नहर बनेगी, न पानी आएगा, और नेताओं को जनता के सवालों का जवाब देने के लिए एक-दूसरे के पास जाना पड़ रहा है।