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PM Modi की नीतियां भारत के कार्यबल में महिलाओं की भूमिका को दे रही नया आकार : Mansukh Mandaviya

नई दिल्ली : केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियां भारत के कार्यबल में महिलाओं की भूमिका को नया आकार दे रही हैं। केंद्रीय मंत्री ने इसे भारत के श्रम बल में होने वाली एक मौन क्रांति (साइलेंट रेवोल्यूशन) बताया है। भारत का कार्यबल अब वह देख.

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नई दिल्ली : केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियां भारत के कार्यबल में महिलाओं की भूमिका को नया आकार दे रही हैं। केंद्रीय मंत्री ने इसे भारत के श्रम बल में होने वाली एक मौन क्रांति (साइलेंट रेवोल्यूशन) बताया है। भारत का कार्यबल अब वह देख रहा है जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं, बड़ी ज़म्मिेदारियां उठा रही हैं और पहले से कहीं ज़्यादा बाधाओं को तोड़ रही हैं। मंडाविया ने कहा, कि ‘भारत महिलाओं की अगुवाई में आर्थकि क्रांति की ओर बड़े सलीके से आगे बढ़ रहा है।‘

हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी में वृद्धि हुई है। यह केवल सात वर्षों में दोगुनी हो गई है। मनसुख मंडाविया ने कहा, कि ‘भारतीय महिलाएं आगे आ रही हैं, जिम्मेदारी संभाल रही हैं और वह भी ऐसे तरीके से जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। हमें इस बारे में और बात करनी चाहिए। ये साहसिक पहल केवल महिलाओं को सशक्त बनाने की बात नहीं कर रही हैं, बल्कि उन्हें वास्तविक समय में आगे ला रही हैं।‘

वहीं भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि भारतीय महिलाएं कई देशों की महिलाओं की तुलना में ज्यादा काम कर रही हैं, विशेष रूप से व्यावसायिक, वैज्ञानिक और तकनीकी गतिविधियों जैसे उच्च मांग वाले उद्योगों में हैं। स्मृति ईरानी ने कहा, कि ‘महिलाएं अब चुपचाप काम करने वाली कार्यबल नहीं रह गई हैं, बल्कि वे पहले से कहीं अधिक घंटे काम कर रही हैं। कुछ तो पेशेवर, वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में हर हफ्ते 55 घंटे से भी ज्यादा काम कर रही हैं! भारतीय महिलाएं सभी क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में ज्यादा घंटे काम कर रही हैं।‘

उन्होंने कहा, कि ‘पीएम मोदी ने मंच तैयार कर दिया है, लेकिन अब समय आ गया है कि हर कोई, व्यवसाय, उद्योग, समाज और महिलाएं स्वयं महिलाओं द्वारा किए जा रहे बलिदानों को स्वीकार करें और यह सुनिश्चित करें कि इस मौन क्रांति को नजरअंदाज करना असंभव हो जाए।‘

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