अमृतसर/जालंधर/लुधियाना : कुछ साल पहले तक कोई सोच भी नहीं सकता था कि भारतीय जनता पार्टी पंजाब में अकेले दम पर चुनाव लड़ सकती है। अकाली दल के साथ गठजोड़ ने उसे बरसों तक शहरों तक सीमित रखा। लोकसभा की तीन सीटें और विधानसभा की 23 सीटों पर वह चुनाव लड़ा करती थी। इसलिए लगभग इन्हीं सीटों तक उसका संगठन सीमित था। बीजेपी हमेशा छोटे भाई की भूमिका में रही। पंजाब में उसने इसे एक तरह अपनी नियति मान लिया था। शायद ऐसा ही चलता रहता, मगर शुरुआत में कृषि कानूनों का समर्थन करने वाली शिरोमणि अकाली दल ने अचानक विरोध का रास्ता पकड़ा और बीजेपी के साथ लगभग तीन दशक के रिश्ते तोड़ डाले।
इस राजनीतिक बदलाव से बीजेपी को भले ही शुरुआती झटका लगा हो, मगर इसके बाद वह पूरे सूबे खड़ी हो गई। पिछले दो साल में जिस तेजी से यह हुआ है, वह ज्यादा हैरान करने वाली बात है। यह बात आंकड़ों से आसानी-से समझ में आ सकती है। पंजाब में कुल 23 राजस्व जिले हैं। बीजेपी ने संगठन के हिसाब से इन्हें 35 जिला इकाइयों में बांटा है। कुल 117 विधानसभा सीटें हैं। बीजेपी ने हर सीट को 4 से 6 सर्किल में बांटा है। पंजाब में भाजपा के लगभग 450 सर्किल बने हैं। हर सर्किल को सब-सर्किल में बांटा है। इन्हें शक्ति केंद्र भी कहते हैं। आसानी से समझने के लिए एक सर्किल में लगभग 40-50 बूथ होते हैं तो एक सब-सर्किल में तीन से पांच बूथ होते हैं।
पंजाब में जो लगभग 25 हजार से कुछ कम बूथ हैं उनका प्रबंध करने के लिए बीजेपी के 6000 से ऊपर सब-सर्किल तैयार हैं। इनमें भी लगभग 19 हजार बूथों की टीमें बन गई हैं। सब-सर्किल इंचार्ज भी नियुक्त किए गए हैं। हर सर्किल में बीजेपी ने लगभग 40 लोगों की टीम बनाई है तो हर इंचार्ज को 3-4 बूथों की व्यवस्था सौंपी है। यह खाका पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान से खींचा जाने लगा था, मगर तब समय ज्यादा नहीं था। चुनावों के बाद भी बीजेपी रुकी नहीं बल्कि अपनी संगठनात्मक क्षमता को बढ़ाने में जुटी रही। इसी का नतीजा है कि तरनतारन, अमृतसर देहात, फिरोजपुर, मुक्तसर, मानसा जैसे इलाकों में भी भारतीय जनता पार्टी गांव-गांव पहुंच गई है। पिछले दिनों पहले आजादी के अमृत महोत्सव के तहत मेरी माटी मेरा देश अभियान छेड़ा गया था।
इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं ने शहरों में ही नहीं, बल्कि पंचायत, ब्लाक स्तर तक बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। देश भर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, शहीदों के गांवों तक वह पहुंचीं। पंजाब में भी गांव-गांव से मिट्टी एकत्र की गई। फिर विकसित भारत संकल्प यात्र के तहत केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देने वाली 150 प्रचार वैन पंजाब के हर ब्लाक के हर गांव में गईं। सुबह एक गांव में तो शाम को दूसरे गांव में। लगभग दो माह में ये गाड़ियां 9000 से ज्यादा गांवों में पहुंचीं और इन पर बाकायदा जीपीएस सिस्टम फिट था। ये इन गाड़ियों की हर पल की लोकेशन उपलब्ध करा देती थी। इससे असर यह पड़ा कि गांव-गांव में केंद्र सरकार की योजनाओं की जानकारी मिली। फिर चाहे वह प्रधानमंत्री आवास, उज्जवला, किसान सम्मान निधि जैसी लाभार्थी योजनाएं हों या फिर प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, महिला स्वयं सहायता समूह योजना और एससी तबके को मिलने वाली सुविधाएं। पहले गांव-कस्बों की चाय की दुकानों पर भाजपा का नाम लेने वाला कोई नहीं होता था, लेकिन अब हर जगह भाजपा का पक्ष लेने वाले लोग मिल जाते हैं। बूथ स्तर पर वाल पेंटिंग कराई जा रही है। हर बूथ स्तर पर पांच अलग-अलग जगह कमल के फूल दीवारों पर दिखने लगे हैं।
9 साल में मोदी सरकार के काम हर बूथ कॉडर को समझा रही पार्टी
पंजाब में भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन कर रही है। हर काडर को समझाया जा रहा है कि पिछले नौ साल में मोदी सरकार ने क्या किया है। भाजपा ऐसे सम्मेलन पहले से पूरे देश में करती आ रही है, लेकिन पंजाब में नए सियासी हालात में उसे गांव-गांव जाने का मौका मिला तो अब यहां भी बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं से आमने-सामने केंद्र की योजनाओं की जानकारी दी जा रही है।
सूबे के 25 हजार में से 19 हजार बूथों पर भाजपा की टीमें बन गई
आम तौर पर रोजाना पंचायत स्तर पर चालीस- पचास जगह पार्टी में लोग शामिल हो रहे हैं। धुर देहाती इलाकों में बूथ स्तर तक भाजपा की दमदार मौजूदगी देखकर खुद पार्टी के नेता भी चकित हैं। भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस और दूसरे दलों के नेता संगठन की कार्यशैली और इसकी क्षमता को देखकर प्रभावित हैं। आम तौर पर पुरानी पार्टियां भी जिन जगहों पर नहीं पहुंच पा रही हैं, वहां भाजपा ने पैठ बना ली है।
2 साल में सभी 117 सीटें अकेले लड़ने में बीजेपी सक्षम
पंजाब में बीजेपी का ग्राफ जिस तरह गांव-गांव तक बढ़ रहा है, उसे देखते हुए लगता है कि 2 साल के अंदर पार्टी पूरी 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव अकेले लड़ने में सक्षम हो जाएगी।