नेशनल डेस्क : कई पुरुष शादी के बाद यह समस्या महसूस करते हैं कि उन्हें अपनी पत्नी और माता-पिता के बीच संतुलन बनाने में परेशानी होती है। जब वे अपनी मां-बाप की देखभाल करते हैं, तो पत्नी नाराज हो जाती है और जब पत्नी का अधिक ख्याल रखते हैं, तो माता-पिता को यह अच्छा नहीं लगता। ऐसे ही एक व्यक्ति अपनी इस परेशानी को लेकर प्रेमानंद महाराज के पास पहुंचे थे। प्रेमानंद महाराज ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…
प्रेमानंद महाराज का संदेश
दरअसल, वायरल वीडियो में प्रेमानंद महाराज पति-पत्नी और माता-पिता के रिश्ते पर बात करते हुए नजर आ रहे हैं। वे उन पुरुषों को सलाह दे रहे हैं जो अपनी मां-बाप की सेवा और पत्नी के बीच तालमेल नहीं बना पा रहे।
माता-पिता की सेवा करने पर पत्नी नाराज़ होती है। pic.twitter.com/UWIoi0sbS2
— Bhajan Marg (@RadhaKeliKunj) February 27, 2025
माता-पिता का पहला अधिकार
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर किसी की पत्नी यह कहे कि माता-पिता की सेवा छोड़ दो, तो उस बात को न मानें। उनका कहना था कि माता-पिता का पहला अधिकार है, और यह अधिकार पति-पत्नी से पहले आता है। महाराज ने यह भी कहा कि हमारे माता-पिता ने हमें जन्म दिया और हमें अच्छे इंसान बनाने में मदद की, इसलिए उनकी सेवा कभी न छोड़ें।
पत्नी को भी सुख देना जरूरी
महाराज ने आगे कहा कि माता-पिता की सेवा करना जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पत्नी को नजरअंदाज किया जाए। पत्नी को भी प्यार और सुख देना चाहिए, उसकी भी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए, लेकिन हमेशा माता-पिता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
बूढ़े होने पर क्या होगा?
प्रेमानंद महाराज ने सवाल किया कि अगर आप जवान होकर अपने माता-पिता की सेवा नहीं करेंगे, तो जब आप बूढ़े होंगे, तो आपके बच्चे भी आपके साथ ऐसा ही करेंगे। क्या यह स्थिति आपको पसंद आएगी? इस बात से उन्होंने यह संदेश दिया कि अगर आप अपनी मां-बाप की सेवा करेंगे, तो आपके बच्चे भी बड़े होकर वही करेंगे जो आपने किया है।
कहानी से मिली सीख
प्रेमानंद महाराज ने एक दिलचस्प कहानी सुनाई, जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है। उन्होंने कहा, एक बच्चा अपनी मां से कहता है, “मां, इस मिट्टी के बर्तन को संभाल कर रखना, कहीं यह टूट न जाए।” मां ने पूछा, “क्यों?” तो बच्चे ने जवाब दिया, “आज इसमें दादी को खाना देती हो, कल मैं आपको इसी बर्तन में खाना दूंगा।” इस कहानी से महाराज ने यह बताया कि बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता से देखते हैं। अगर आप अपने माता-पिता की सेवा करेंगे, तो आपके बच्चे भी यही सीखेंगे और वही करेंगे।
प्रेमानंद महाराज का यह संदेश साफ है कि पत्नी और माता-पिता दोनों के बीच संतुलन बनाना जरूरी है, लेकिन माता-पिता की सेवा हमेशा प्राथमिक होनी चाहिए। पत्नी को भी सुख देना जरूरी है, लेकिन उसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने माता-पिता की सेवा से पीछे हटें। हमें अपने बच्चों को यही सिखाना है कि माता-पिता की सेवा करना और उनका सम्मान करना सबसे महत्वपूर्ण है।