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रामभद्राचार्य महाराज ने मोहन भागवत के बयानों पर जताई नाराजगी, कह दी ये बड़ी बात, देखें Video

Rambhadra charya on RSS Chief Mohan Bhagwat Statement

नई दिल्ली : RSS चीप के मोहन भागवत के द्वारा पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव कार्यक्रम के दौरान दिए गए बयान की चर्चा चारों और हो रही है। उनके बयान के साथ ही देश के साधु संतों ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया है। इस बीच अब देश के प्रसिद्ध संत रामभद्राचार्य जी ने भी अपने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने RSS मोहन भागवत के द्वारा दिए गए बयान से असहमति जताई है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से…

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद विवाद पर दिए गए बयान को लेकर देशभर के साधु संत अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इस बयान पर प्रसिद्ध संत रामभद्राचार्य ने असहमति जताई है, और कुछ अन्य संतों ने भी अपने विचार व्यक्त किए हैं।

मोहन भागवत का बयान

आपको बता दें कि मोहन भागवत ने पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के दौरान बयान दिया था कि देश में हर दिन नए-नए विवाद उठाए जा रहे हैं, जो स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद कुछ लोग नई जगहों पर इसी तरह के विवाद खड़ा कर हिंदू समुदाय के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना था कि इस तरह के विवादों को रोकने की आवश्यकता है, क्योंकि यह देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है।

रामभद्राचार्य ने जताई असहमति

वहीं मोहन भागवत के बयान पर संत रामभद्राचार्य ने अपनी असहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वह भागवत के बयान से बिल्कुल सहमत नहीं हैं। रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि मोहन भागवत उनके अनुशासक रहे हैं और वे खुद उनके अनुशासक हैं, लेकिन इस मुद्दे पर उनकी राय अलग है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की नाराजगी

इसके साथ ही  स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, जो ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य हैं, ने भी मोहन भागवत के बयान पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब मोहन भागवत को सत्ता प्राप्त करनी थी, तब वह मंदिर-मंदिर की बातें करते थे, लेकिन अब जब सत्ता मिल गई है, तो वह मंदिरों को ढूंढ़ने की सलाह दे रहे हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि हिंदू समाज ने अतीत में बहुत अत्याचार सहा है और उनके धर्मस्थलों को नष्ट किया गया है। अब अगर हिंदू समाज अपने मंदिरों को फिर से बनाना और संरक्षित करना चाहता है, तो इसमें गलत क्या है?

विवाद और संतों की प्रतिक्रिया

मोहन भागवत का बयान देशभर में चर्चाओं का विषय बन गया है। जहां कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कुछ संत इस पर असहमति जता रहे हैं। यह विवाद मंदिरों के पुनर्निर्माण और संरक्षण के मुद्दे को लेकर अब गहरा हो गया है। कई संतों का मानना है कि हिंदू समाज को अपने धार्मिक स्थल वापस पाने का अधिकार है, और यह किसी भी कीमत पर गलत नहीं है।

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