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Mahakumbh 2025 : धर्म संसद में उठी सनातन बोर्ड की मांग, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किया खारिज, कही ये बड़ी बात

नेशनल डेस्क : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में 27 जनवरी को एक धर्म संसद का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर के प्रमुख साधु-संत और धर्माचार्य शामिल हुए। इस धर्म संसद में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें एक प्रमुख मांग सनातन बोर्ड के गठन की थी। धर्म संसद के दौरान PM मोदी से सनातन बोर्ड बनाने की मांग की गई। यह सुझाव दिया गया कि जैसे वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदाय के मामलों को देखता है, वैसे ही सनातन धर्म के मामलों के लिए भी एक बोर्ड का गठन किया जाए। इस प्रस्ताव को कई संतों और धर्माचार्यों ने समर्थन दिया। लेकिन अब इस मांग को लेकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक अलग ही रुख अपनाया है और इसे सिरे से खारिज कर दिया है। आइए जानते है इस खबर को विस्तार से..

धर्म संसद में सनातन बोर्ड की मांग

दरअसल, प्रयागराज महाकुंभ के दौरान धर्म संसद में वक्फ बोर्ड की तरह सनातन बोर्ड के गठन की मांग की गई। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि जैसे वक्फ बोर्ड मुस्लिम धर्म से जुड़ा हुआ है, वैसे ही सनातन बोर्ड हिंदू धर्म के मामलों को देखेगा। धर्माचार्यों ने इसे एक आवश्यक कदम बताया और इस पर एक प्रारूप तैयार करने की सहमति दी।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य का बयान

लेकिन इस प्रस्ताव के खिलाफ जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अपनी राय दी है। उन्होंने एक न्यूज़ चैनल से खास बातचीत में कहा कि सनातन बोर्ड की कोई आवश्यकता नहीं है। उनका कहना था कि सनातन धर्म तो अनादिकाल से अपने तरीके से काम कर रहा है और इसके लिए किसी नए बोर्ड की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म को किसी बोर्ड के तहत आने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह आत्मनिर्भर और सार्वभौमिक रूप से कार्य करता आ रहा है।

सनातन धर्म का पुराना इतिहास

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि सनातन धर्म का इतिहास बहुत पुराना है और यह किसी बोर्ड या सरकारी नियंत्रण के बिना ही चलता आया है। उन्होंने यह कहा कि सनातन धर्म की नीतियां, परंपराएं और मान्यताएं पहले से ही स्थापित हैं, जिनकी रक्षा करने के लिए किसी नए बोर्ड की आवश्यकता नहीं है। धर्म संसद में उठाई गई सनातन बोर्ड की मांग पर अब विवाद पैदा हो गया है, क्योंकि जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इसे सिरे से नकारा है। यह सवाल अब सामने आया है कि क्या सनातन धर्म के लिए नया बोर्ड बनाना चाहिए या मौजूदा प्रथाओं को ही बनाए रखना उचित रहेगा।

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