Re investigated Sambhal Violence : नेशनल डेस्क । उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 1978 में हुए दंगों की फाइल को फिर से खोलकर जांच शुरू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अब 47 साल बाद पुलिस और प्रशासन मिलकर इस मामले की फिर से जांच करेंगे। इस बारे में संभल के एसपी ने जिला अधिकारी को पत्र लिखकर इस जांच प्रक्रिया की जानकारी दी है। आइए जानते हैं इस मामले के बारे में विस्तार से।
जांच शुरू करने का आदेश
दरअसल, संभल के एसपी केके बिश्नोई ने 7 जनवरी को संभल के जिला अधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने जानकारी दी कि यूपी विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने 1978 में हुए दंगों की फिर से जांच करने की मांग की थी। इस पर उत्तर प्रदेश सरकार के गृह विभाग और पुलिस अधीक्षक (मानवाधिकार) से पत्र प्राप्त हुआ, जिसके बाद जांच शुरू करने का आदेश दिया गया है।
संयुक्त जांच टीम का गठन
इसके साथ ही संभल के एसपी ने पत्र में यह भी कहा कि पुलिस की तरफ से जांच में वे स्वयं प्रभारी होंगे। इसके साथ ही एसपी ने डीएम से मांग की है कि प्रशासन से किसी अधिकारी को संयुक्त जांच के लिए नामित किया जाए, ताकि पुलिस और प्रशासन मिलकर जांच कर सकें। यह संयुक्त जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
1978 के दंगों में मौतों का आंकड़ा
संभल में 1978 में हुए दंगों में आधिकारिक तौर पर 24 लोगों की मौत होने का दावा किया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना था कि मरने वालों की संख्या इस आंकड़े से कहीं अधिक थी। अब यह जांच यह भी करेगी कि वास्तव में दंगों में कितने लोग मारे गए थे और क्या इस आंकड़े में कोई गड़बड़ी थी।
सीएम का बयान और नए तथ्यों की संभावना
वहीं पिछले महीने, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक बयान में कहा था कि 1978 के दंगों में 184 लोग मारे गए थे और कई लोग बेघर हो गए थे। अब जब 47 साल बाद दंगों की फाइल फिर से खोली जा रही है, तो यह देखना होगा कि क्या नए तथ्य सामने आते हैं और दंगों के दौरान मारे गए लोगों का असल आंकड़ा क्या है।
बेघर हुए लोगों का आंकड़ा भी होगा जांच में शामिल
सूत्रों के मुताबिक, संयुक्त जांच में न केवल दंगों में हुई मौतों का असल आंकड़ा सामने लाने की कोशिश की जाएगी, बल्कि दंगों के बाद बेघर हुए लोगों का आंकड़ा भी प्रशासन जांच में सामने लाने की कोशिश करेगा। यह जांच यह भी देखेगी कि क्या दंगे के दौरान और उसके बाद हुए नुकसान का सही अनुमान लगाया गया था या नहीं।
संभावित राजनीतिक प्रभाव
दंगों में शामिल लोग और उन पर राजनीति का असर भी जांच में महत्वपूर्ण बिंदु हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, ऐसे लोग जिनके नाम अब तक सामने नहीं आए थे या जिन्हें राजनैतिक कारणों से दबा दिया गया था, उन्हें भी इस जांच में उजागर किया जाएगा। इस प्रकार, 1978 के दंगों की फिर से जांच शुरू करने से संभल के इतिहास के एक काले अध्याय को फिर से खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अब यह देखना होगा कि इस जांच से कौन से नए तथ्यों और आंकड़ों का खुलासा होता है।