Saurabh murder case: यूपी के मेरठ में हुए सौरभ राजपूत हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। पत्नी मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल ने जिस बेरहमी से सौरभ की हत्या की उसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया। दोनों कानून की गिरफ्त में हैं, लोगों में गुस्सा है। चारों तरफ लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या इस क्रूरता की सजा फांसी होगी, उम्रकैद होगी, या फिर कानूनी दांवपेच में मुस्कान और साहिल जमानत पर छूट जाएंगे? इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने के लिए न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सुप्रीम कोर्ट के वकील नीरज कुमार से बात की। नीरज कुमार ने बताया कि कानून की नजर में इस हत्याकांड का अंजाम क्या हो सकता है।
एडवोकेट नीरज कुमार ने आईएएनएस से बातचीत में इस मामले के कानूनी पहलुओं पर रोशनी डाली और बताया कि इस केस में कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं सामने आई हैं, जो जांच की दिशा तय करेंगी। उन्होंने कहा कि मुस्कान और साहिल शुक्ला के मामले में एक नया एंगल सामने आ रहा है, जिसमें मुस्कान की सौतेली मां के खाते में पैसे ट्रांसफर होने की बात सामने आई है। यह तथ्य जांच के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, लेकिन इस पूरे मामले में एक बड़ी समस्या यह है कि कोई भी प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं है।
नीरज कुमार के अनुसार, यह मामला पूरी तरह से पुलिस की जांच और एफएसएल रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। उन्होंने बताया कि एफएसएल रिपोर्ट में यह देखा जाएगा कि वह ड्रम जिसमें सौरभ का शव सीमेंट से पैक कर रखा गया था, उसके बारे में क्या निष्कर्ष निकलते हैं। यह रिपोर्ट इस मामले में अहम भूमिका निभाएगी, क्योंकि बिना गवाह के सिर्फ रिपोर्ट पर ही आगे की कार्रवाई होनी है।
मुस्कान और साहिल को फिलहाल जमानत मिलने की संभावना पर सवाल उठाते हुए नीरज कुमार ने कहा कि यह केस रेयर ऑफ द रेयरेस्ट श्रेणी का है और इसमें जमानत मिलना संभव नहीं है। आरोप बेहद गंभीर हैं, और जब तक ट्रायल पूरा नहीं हो जाता, दोनों को जेल में ही रहना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मेरी राय में दोनों को जमानत मिलना नामुमकिन है।
उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में फांसी की सजा मिलने की संभावना नहीं है, क्योंकि भारत में अब तक किसी महिला को फांसी की सजा नहीं मिली है। यहां तक कि राजीव गांधी के हत्यारों में से एक महिला को भी फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में उसे भी माफ कर दिया गया था। नीरज कुमार ने कहा कि अभी तक जो भी बातें सामने आई हैंं, उसके अनुसार मुस्कान ही मुख्य आरोपी है, क्योंकि सारा षड्यंत्र उसी ने रचा था। साहिल को सह आरोपी माना जाएगा, उसकी भूमिका उतनी महत्वपूर्ण नहीं है। भारतीय न्याय व्यवस्था में सजा का निर्धारण किसी व्यक्ति के लिंग, जाति या धर्म के आधार पर नहीं होता, इसलिए दोनों को समान सजा मिलेगी।
नीरज कुमार ने हत्या के तरीके पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एफएसएल रिपोर्ट पर काफी कुछ निर्भर करता है। हत्या का तरीका ऐसा था कि एक अकेला आदमी इस हत्या को अंजाम नहीं दे सकता। इसमें दो या दो से अधिक लोग शामिल हो सकते हैं। इसमें कई और पहलू भी सामने आ सकते हैं।
मुस्कान और साहिल को कोर्ट से कितनी सजा होगी? इस सवाल के जवाब में नीरज कुमार ने कहा कि सबसे अधिक संभावना उम्रकैद की सजा की है। हालांकि, यह सब एफएसएल रिपोर्ट और पुलिस की जांच पर निर्भर करेगा। अगर जांच पूरी तरह से सही होती है, तो उम्रकैद की सजा हो सकती है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा नहीं होता है तो ट्रायल के बाद दोनों को जमानत भी मिल सकती है। इस केस में एफएसएल रिपोर्ट और पुलिस की जांच काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस केस में कोई भी प्रत्यक्षदर्शी नहीं है।