नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज 70वीं बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) की प्रीलिम्स परीक्षा से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह मामला पटना हाईकोर्ट में रखने की सलाह दी। इस याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने की। चलिए जानते है इस खबर को विस्तार से…
SC ने पटना HC जाने की दी सलाह
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला पटना हाईकोर्ट में आर्टिकल 226 के तहत पेश किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के मामलों के लिए स्थानीय कोर्ट अधिक प्रभावी मंच होते हैं। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले स्तर पर इस मामले की सुनवाई के लिए उपयुक्त मंच नहीं है और याचिकाकर्ता को इसे पटना हाईकोर्ट में प्रस्तुत करना बेहतर रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह छात्रों और प्रदर्शनकारियों की भावना को समझता है, लेकिन इस मामले पर सीधे हस्तक्षेप करने के बजाय याचिकाकर्ता को स्थानीय हाईकोर्ट के पास जाना चाहिए।
याचिका में क्या था मामला?
दरअसल, इस याचिका में 70वीं बीपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी। इसके अलावा, प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज करने के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों, खासकर जिले के SP और DM के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की गई थी। याचिकाकर्ता ने याचिका में यह भी आरोप लगाया था कि बीपीएससी परीक्षा में व्यापक धांधली हुई थी और इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में सीबीआई से कराए जाने की मांग की गई थी।
प्रदर्शन और लाठीचार्ज पर की गई टिप्पणी
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बिहार पुलिस ने अभ्यर्थियों पर बर्बर तरीके से लाठियां भांजी हैं और यह घटना पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के आवास के पास घटी थी। उन्होंने कहा कि पटना हाईकोर्ट इस पर स्वत: संज्ञान ले सकता था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए मामले को आगे सुनने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बीपीएससी परीक्षा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ता को मामले को पटना हाईकोर्ट में ले जाने की सलाह दी है। इस मामले को लेकर छात्रों के बीच गहरी नाराजगी है, और वे चाहते हैं कि परीक्षा में हुई धांधली की जांच की जाए।